मुंबई: मध्य रेलवे पर खासतौर से हार्बर लाइन की परेशानी मिटाने के लिए 2 परियोजनाएं फिलहाल अधर में लटकती हुई नजर आ रहीं हैं। सीएसएमटी-पनवेल फास्ट कॉरिडोर और विरार-पनवेल उपनगरीय कॉरिडोर, इन दोनों परियोजनाओं को एमयूटीपी-3 की बजाय एमयूटीपी -3ए में डाल दिया गया है, जिसकी मंजूरी अभी तक महाराष्ट्र सरकार की ओर से मिली नहीं। राज्य सरकार की मंजूरी के इंतजार में दस लाख लोगों की ये दोनों परियोजनाएं हैं। यदि इस महीने के अंत तक मंजूरी मिलती है, तो परियोजना समय पर पूरी हो सकती है।
इन दोनों लाइनों के लिए शुरुआती काम अब तक शुरू हो जाने चाहिए थे। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इन परियोजनाओं से लिए स्टेशन डिजाइन से लेकर लाइन का सर्वे सहित सभी चीजों का ब्लू प्रिंट तैयार है। रेलवे आज भी टेंडर निकालने की हालत में है लेकिन इस वर्ष फरवरी में इन दोनों परियोजनाओं को एमयूटीपी-3ए में शामिल कर दिए जाने के कारण अब राज्य सरकार की मंजूरी भी जरूरी हो चुकी है। एक अधिकारी ने बताया कि दोनों परियोजनाएं आर्थिक मामलों की केंद्रीय समिति सामने मंजूरी का इंतजार कर रहीं हैं। यहां से अनुमति मिलने के बाद काम शुरू होना था, लेकिन फरवरी में दोनों परियोजनाओं को एमयूटीपी 3ए में शामिल करने के साथ ही पूरा काम दोबारा शुरू करना होगा।
कैसे मिलती है मंजूरी
प्रक्रिया के अनुसार, राज्य सरकार की अनुमति मिलने के बाद इसे रेलवे बोर्ड को भेजा जाता है। इसके बाद योजना नीति आयोग और फिर आर्थिक मामलों की केंद्रीय समिति के पास भेजा जाता है। हार्बर लाइन पर सफर करने वालों की अक्सर शिकायत रहती है कि रेलवे द्वारा उन्हें अनदेखा किया जाता है, जबकि नवी मुंबई इत्यादि क्षेत्र सबसे ज्यादा विकसित हैं। बहरहाल, इन दोनों परियोजनाओं का शुरुआत से रिव्यू किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, इनके लिए बड़े बजट तय किए गए हैं, इसलिए रेलवे की आगामी परियोजनाएं समय से शुरू नहीं हो, ऐसी स्थिति बन रही है। एमआरवीसी के एक अधिकारी ने बताया कि एमयूटीपी 3ए को राज्य सरकार की मंजूरी मिलते ही आगे का काम शुरू हो जाएगा। एक बार मंजूरी मिलने के बाद भी 6-8 महीने अन्य औपचारिकताओं में लग जाते हैं।
कुछ अच्छे आसार भी
हाल ही में रेलमंत्री पीयूष गोयल, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अन्य अधिकारियों की रेल परियोजनाओं को लेकर एक बैठक हुई थी। इस बैठक के दौरान एमयूटीपी- 3ए पर भी गहन चर्चा हुई। 54,777 करोड़ रुपये के एमयूटीपी-3ए परियोजना की पूरी करने की डेडलाइन 2022-23 रखी गई है। इसमें से 27,388 करोड़ रुपये राज्य सरकार को देने हैं। इस परियोजना से विरार, पनवेल, बांद्रा, कल्याण और बोरीवली क्षेत्र में भीड़ कम होगी। मुंबई के उपनगरीय स्टेशनों पर सुधार होगा। रेल बजट में इस परियोजना के लिए 40 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं। बहरहाल, मंजूरी का अब भी इंतजार है।
बीते कई वर्षों से हार्बर लाइन के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। बात चाहे नई ट्रेनों की हो या फिर फास्ट ट्रेनों की, हार्बर लाइन इन सेवाओं से वंचित रही है। सीएसएमटी से पवनेल तक फास्ट कॉरिडोर एक नई उम्मीद लेकर आया था, लेकिन नौकरशाही ने इसे भी फाइलों में कैद कर रखा है। समग्र विकास के लिए जरूरी है सभी अंगों का विकसित होगा। उम्मीद है कि परियोजनाओं को फलीभूत करने वाले सभी जिम्मेदार लोग भी इस बात को समझेंगे।