मुंबई : हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष शुरू हो गया है। यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर 8 अक्टूबर को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलेगा। इस दौरान पितरों को तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
आचार्य बालकृष्ण मिश्र के मुताबिक, पितरों का ऋण उतारने के लिए पितृपक्ष में तर्पण किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस पक्ष में पितृ यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने परिवार के आस-पास विचरण करते हैं। इस दौरान उनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण, मुक्ति के लिए विशेष क्रिया संपन्न कर अर्ध्य समर्पित किया जाता है, जो सीधे पूर्वजों उन तक पहुंचता है। आचार्य के मुताबिक, पितृपक्ष में श्राद्ध को लेकर कुछ नियम हैं, जिसका पालन करना चाहिए। व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी की मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई, तो उसका श्राद्ध पितृपक्ष में प्रतिपदा तिथि को करना चाहिए। जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए।
पितरों के लिए ये करें
पितृपक्ष में हर दिन स्नान करने के बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके जल में काला तिल डालकर तर्पण करें। तिथि के अनुसार जिस दिन पिंडदान और तर्पण करें, उस दिन उस व्यक्ति का पसंदीदा भोजन बनवाएं। तर्पण करते समय इस मंत्र का जाप करें- ‘ॐ पितृदेवताभ्यो नमः’