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8 दिनों में 29,500 लोगों को मिली ‘रोशनी’ की सौगात

मुंबई
राज्य में पिछले 8 दिनों में 29,500 लोगों की मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर उन्हें रोशनी की सौगात दी गई है। अधिक से अधिक लोगों की ऐसी सर्जरी करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने ‘मोतियाबिंद मुक्त महाराष्ट्र’ अभियान की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत राज्य में अगस्त 2019 तक 17 लाख मोतियाबिंद मरीजों के ऑपरेशन करने का लक्ष्य रखा गया है। मिली जानकारी के मुताबिक 17 लाख मोतियाबिंद मरीजों में से 5 लाख को तत्काल सर्जरी की जरूरत है। इसे ध्यान में रखकर 15 दिसंबर को ‘मोतियाबिंद मुक्त महाराष्ट्र’ मुहिम की शुरुआत की गई। अभियान के समन्वयकऔर डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजूकेशन ऐंड रिसर्च (डीएमईआर) के संयुक्त निदेशक डॉक्टर टीपी लहाने ने कहा कि फिलहाल प्रतिदिन 3-3.5 हजार के आसपास ऑपरेशन हो रहे हैं। आने वाले दिनों में इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। मोतियाबिंद के कारण होने वाले अंधेपन को खत्म करने के लिए हम समय रहते उसकी सर्जरी कर रहे हैं। इसके लिए हेल्थ निदेशालय, डीएमईआर और कई संस्थाएं संयुक्त रूप से काम कर रही हैं।
डीएमईआर के तहत 12 हजार सर्जरी
डॉक्टर लहाने ने बताया कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए डीएमईआर के राज्यभर में 108 ऑपरेशन थिएटर हैं। इसमें से 90 कार्यरत हैं, जबकि 18 में मरम्मत का काम चल रहा है। 90 थिएटर में 8 दिन में 12 हजार ऑपरेशन किए जा चुके हैं। इसके अलावा 8,270 ऑपरेशन स्वास्थ्य निदेशालय, जबकि 9230 संस्थाओं के ऑपरेशन थिएटर में किए जा चुके हैं।

डॉक्टरों को दी जा रही ट्रेनिंग
डीएमईआर से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्यभर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के पास 155 डॉक्टर हैं। इनमें से 30 को ऑपरेशन करने की अच्छी जानकारी नहीं है। डॉक्टर लहाने ने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए हम डॉक्टरों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। ये सभी 16 मेडिकल कॉलेज में सीनियर डॉक्टरों से ‘स्किल’ ट्रेनिंग लेंगे, फिर ऑपरेशन करेंगे। फिलहाल इनकी ट्रेनिंग शुरू हो गई है।

बीएमसी को भी बढ़ानी है संख्या
मिली जानकारी के अनुसार बीएमसी के सभी अस्पतालों को भी, जहां यह सर्जरी की जा सकती है मोतियाबिंद का ऑपरेशन का काम दिया जाएगा। डॉक्टर टीपी लहाने ने बताया कि फिलहाल बीएमसी के अस्पतालों में मोतियाबिंद की 5-10 सर्जरी होती है, हम इसे बढ़ाकर 30-40 करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए बीएमसी से बातचीत जारी है। संभवत: पहली जनवरी से बीएमसी अस्पतालों में

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