मुंबई : पिछले सप्ताह नेपाल में हुए इंडियन मुजाहिदीन के सरगना खुर्शीद आलम के मर्डर ने जांच एजेंसियों को दो दशक पहले नेपाली सांसद मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या की याद दिला दी। बेग डॉन दाऊद इब्राहिम का खास आदमी था। इसके अलावा वह पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारियों के भी सीधे संपर्क में था। उसकी हत्या किसने की या किसके जरिए करवाई गई, इसको लेकर समय-समय पर अलग-अलग कहानियां सामने आती रहीं। दावा यह भी किया गया कि छोटा राजन ने रोहित वर्मा व अन्य लोगों के जरिए साल 1998 में नेपाल में बेग का मर्डर करवाया था, लेकिन यूपी पुलिस से जुड़े सूत्रों ने एनबीटी से कहा कि इस हत्या के पीछे दरअसल यूपी की जेल में बंद एक डॉन का हाथ था।
इस अधिकारी का कहना है कि 1993 के मुंबई बम धमाकों के बाद जब अंडरवर्ल्ड में फूट पड़ी, तो छोटा राजन की गतिविधियां मूलत: बैंकॉक तक सीमित रहीं। नेपाल में किसी और डॉन का दबदबा था, जो ढाई दशक पहले ही भारत डिपोर्ट किया गया। बाद में उसे यूपी की कभी नैनी तो कभी बरेली जेल में बंद किया गया था। इसी डॉन ने नेपाल में अपने लोगों को मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या का जिम्मा सौंपा। बेग कई लड़कियों के पास नियमित जाता था। लेकिन वह किस दिन किस लड़की के घर है, इसका पता लगाना मुश्किल था। इसीलिए यूपी की जेल में बंद डॉन के लोगों ने नेपाल में एक पोस्टमैन को पकड़ा। उसे इस सांसद का फोटो दिया और फिर मोटी रकम देकर उसकी लोकेशन बताने को कहा। बाद में डॉन के लोगों को शक हुआ कि यह पोस्टमैन कहीं मिर्जा दिलशाद बेग के सामने हमारी साजिश का भंडाफोड़ न कर दे, इसलिए एक दिन उस पोस्टमैन का मर्डर कर दिया गया। खुर्शीद आलम की तरह मिर्जा दिलशाद बेग भी भारत से भागे आरोपियों को अपने यहां शरण देता था। पांडे के अनुसार, साल 2009 में जब वह यूपी एटीएस में थे, तब उन्हें खुर्शीद आलम के बारे में काफी जानकारियां मिली थीं, लेकिन बाद में पता चला कि खुर्शीद नेपाल से भागा हुआ है। कई साल तक यूपी एसटीएफ में भी काम कर चुके राजेश पांडे का कहना है कि मिर्जा दिलशाद बेग भारत से सटी नेपाल सीमा पर आईएसआई और डी कंपनी की समानांतर सरकार चला रहा था। उन दिनों भारत में जितनी भी गाड़ियां चोरी होती थीं, उनमें से अधिकांश नेपाल में बेग के यार्ड में खड़ी रहती थीं। कई ऐसे मामले सामने आए कि मुंबई, दिल्ली के कई व्यापारियों ने अपनी एकदम नई गाड़ियों को नेपाल में बेग को रकम देकर वापस लाया, क्योंकि चोरी होते ही ये व्यापारी समझ गए थे कि उनकी गाड़ी बेग के ठिकाने पर ही मिलेगी।
भारत में जितनी भी गाड़ियां चोरी होती थीं, उनमें से अधिकांश नेपाल में मिर्जा दिलशाद बेग के यार्ड में खड़ी होती थीं
इसके बाद यूपी के डॉन का अपना एक आदमी पोस्टमैन बना। इस दूसरे पोस्टमैन ने बेग को एक दिन एक घर में ढूंढ लिया और फिर अपने लोगों को इसकी सूचना दे दी। बेग को कुछ ही घंटे बाद गोली मार दी गई। महाराष्ट्र पुलिस से जुड़े एक आईपीएस अधिकारी ने कहा कि दो साल पहले उनकी टीम ने उत्तराखंड के एक आरोपी को मुंबई में पकड़ा था। इस आरोपी ने टनकपुर में भरत नेपाली की शादी करवाई थी। नेपाली की बाद में बैंकॉक में हत्या कर दी गई। इस आरोपी ने बताया था कि मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या के बाद कातिलों ने उत्तराखंड में कई दिन तक उसके यहां शरण ली थी।
दो हाथ, दो पांव
यूपी की जेल में बंद जिस डॉन के जरिए मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या करवाई गई, कुछ पुलिस अधिकारियों का दावा है कि दाऊद अंडरवर्ल्ड में सबसे ज्यादा उसी से डरता था। यूपी के इस डॉन ने मुंबई में कई बड़ी किडनैपिंग कीं। एक कॉल गर्ल के जरिए कोलकाता में कई अपहरण करवाए। नेपाल में एक व्यापारी की इतनी निर्ममता से हत्या की, कि उसके दोनों हाथ नेपाल में मिले और दोनों पैर नेपाल से सटी भारतीय सीमा में पाए गए थे।
खुर्शीद आलम चोरी की गाड़ियों का सरगना
