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दिव्यांगों का अधिकार हड़पा

मीरा-भाईंदर: दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से मीरा-भाईंदर मनपा उन्हें काम-धंधा शुरू करने के लिए स्टॉल देती है, लेकिन इन स्टॉलों पर दबंगों का या फिर मनपा की मिलीभगत से सामान्य लोगों का कब्जा है। इसके चलते कई दिव्यांग अपने अधिकार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। पिछले दिनों इस तरह की एक खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद प्रभावित दिव्यांगों को हौसला मिला है और वे एकजुट होकर प्रतिरोध जता रहे हैं।
मीरा-भाईंदर मनपा ने दिव्यांग लक्ष्मी रस्तोगी का स्टॉल तोड़ उसे दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर दिया। लक्ष्मी के साथ हुए अन्याय को प्रकाशित किया था। इसके बाद करीब 25 दिव्यांग एकजुट हुए और उन्होंने अपनी मांगों को लेकर मनपा आयुक्त का घेराव किया। आयुक्त बालाजी खतगावकर ने जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने दिव्यांगों को भरोसा दिलाया है कि उन्हें जल्द ही स्टॉल दिए जाएंगे। स्टॉल न देने की स्थिति में उन्होंने पेंशन दिए जाने की भी बात कही।
क्या है पीड़ितों का कहना
लक्ष्मी के पिता ने बताया कि जिन्हें स्टॉल दिया जाना चाहिए, उन्हें न देकर मनपा साठगांठ करके सामान्य लोगों को स्टॉल दे रही है। उन्होंने कहा कि मनपा दिव्यांगों का अधिकार हड़त रही है। सिमरन बचपन से दिव्यांग है और चल नहीं सकती है। सिमरन की मां प्रमिला शर्मा का कहना है कि उन्होंने सिमरन के लिए तीन साल से स्टॉल का आवेदन कर रखा है, लेकिन आज तक नहीं मिल सका है। प्रमिला इस उम्मीद में आए दिन मनपा कार्यालय के चक्कर लगाती हैं कि उन्हें सिमरन के लिए यह स्टॉल जल्द मिल जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल नौटियाल की मानें तो मनपा की सूची में शहर में 120 स्टाल हैं, लेकिन उनकी जांच में 200-250 स्टॉल शहर में मौजूद हैं और उसपर समाज के सक्षम और प्रतिष्ठित लोगों ने कब्जा जमा रखा है।

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