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आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तीन बच्चे होने के कारण नौकरी से निकाली गई

मुंबई: महाराष्ट्र में एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने दो से ज्यादा बच्चे होने और ‘छोटे परिवार’ के नियमों का पालन नहीं करने पर उसे नौकरी से निकालने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता तन्वी सोडये ने 2002 में आईसीडीएस योजना के लिए काम करना शुरू किया था। उसे 2012 में आंगनवाड़ी सेविका के पद पर पदोन्नत किया गया था। इस साल मार्च में उसे राज्य सरकार की ओर से लिखित सूचना मिली कि चूंकि उसके तीन बच्चे हैं, इसिलए उसे नौकरी से निकाला जा रहा है। पत्र में उसे सूचित किया गया कि 2014 के सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, आईसीडीएस योजना समेत विभिन्न विभागों में राज्य के सरकारी कर्मचारियों के दो से ज्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि दो से ज्यादा बच्चे होने के आधार पर उसे नौकरी से निकालना गैरकानूनी है, क्योंकि जब अगस्त 2014 का यह सरकारी प्रस्ताव लागू हुआ था तब वह अपने तीसरे बच्चे के साथ आठ माह की गर्भवती थी। बहरहाल, सरकार ने अदालत को बताया कि अगस्त 2014 का सरकारी आदेश खासतौर से महिला एवं बाल विकास विभाग लेकर आया था। इसमें आईसीडीएस के तहत आंगनवाड़ी सेविकाओं और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति के नियम एवं शर्तों को परिभाषित किया गया था, जबकि सरकार 2005 से ही ‘छोटे परिवार’ के नियमों का प्रचार कर रही है।
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह तीन अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई पर इस विषय पर अभी तक जारी किए गए सभी पत्रों और प्रस्तावों को पेश करे।

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