मुंबई: बीएमसी ने फेरीवालों को व्यवस्थित करने की कवायद के तहत उन्हें डोमिसाइल सहित अन्य कई कागजात जमा करने का आखिरी मौका दिया है। इसके लिए उन्हें 15 अक्टूबर तक की मोहलत दी गई है। ऐसा न करने पर वे लाइसेंस पाने का मौका गंवा सकते हैं। कागजात की पड़ताल के बाद इन्हें वैध घोषित कर लाइसेंस दिए जाएंगे, लेकिन इस प्रक्रिया में अभी समय लग सकता है। पहले बीएमसी का इरादा एक अक्टूबर को कुछ फेरीवालों को लाइसेंस देने का था। फेरीवाला यूनियन की ओर से इसके लिए अधिक समय दिए जाने और कागजात के विकल्प बढ़ाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है।
बीएमसी ने पत्र भेजकर 99,434 फेरीवालों को कागजात जमा करने का निर्देश दिया है। लेकिन दिक्कत की बात यह है कि लगभग 30 प्रतिशत व्यक्तियों को ये पत्र मिले ही नहीं हैं। जिन्हें ये पत्र मिले हैं, वे भी कागजात जमा करने के लिए धक्के खा रहे हैं। फेरीवाला यूनियन के एक प्रतिनिधि के अनुसार, बीएमसी या पुलिस 2014 के पहले ली गई पेनल्टी, निर्मूलन आकार फीस, 1997 में हुए फेरीवाला सर्वे में शामिल होने का रेकॉर्ड मांग रही है। अधिकांश फेरीवाले कम पढ़े लिखे हैं और उन्होंने ये कागजात को सहेजकर नहीं रखे हैं। इस वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डोमिसाइल बनवाने में भी काफी समय लग रहा है। बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने पोस्ट ऑफिस के माध्यम से सभी को पत्र भेजे हैं, संभव है कि कइयों को ये पत्र नहीं मिल पाए हों। लेकिन हम लोगों को इससे ज्यादा समय नहीं दे सकते। फेरीवालों के कागजातों की जांच शुरू कर दी गई है। बीएमसी के पास बैठने की तय जगह में वैध फेरीवालों को ही बैठाया जाएगा। अभी शुरुआती चरण में कुछ हजार फेरीवाले वैध घोषित किए जा चुके हैं। उन्हें बैठाने से पूर्व संबंधित जगहों को लेकर जोनल टाउन वेंडिंग कमिटी (टीवीसी) की अनुमति ली जाएगी, जिसके बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
फाइलों में अटका है मामला
एलिफिन्सटन रोड हादसे के बाद से ही फेरीवालों को व्यवस्थित ढंग से जगह देने का मामला केवल फाइलों में घूम रहा है। इस मामले में बेहद सक्रिय रही अधिकारी निधि चौधरी भी अगले सप्ताह से 6 महीने की छुट्टी पर जानेवाली हैं। ऐसे में इस मामले का हल निकलना मुश्किल माना जा रहा है।