मुंबई: मुंबई उच्च न्यायालय ने दो व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक धमकी के एक मामले को खारिज करते हुए उन्हें मुंबई में एक महीने तक समुद्र तट को साफ करने में मदद देने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ सोमवार को शहर के निवासी अंगद सिंह सेठी (22) और कुंवर सिंह सेठी (25) द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।
इसमें बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स (बीकेसी) पुलिस द्वारा 10 सितंबर, 2017 को उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी। पुलिस के मुताबिक, पिछले साल दोनों व्यक्तियों ने एक होटल संचालक को नकली बंदूक दिखाकर धमकाया था और कहा था कि वह होटल खोलकर उन्हें खाना खिलाए। बाद में दुकानदार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
आरोपियों के वकील अशोक मुंडारगी ने उच्च न्यायालय को बताया कि शिकायतकर्ता के साथ मामला निबटा लिया गया है। मुंडारगी ने कहा कि ‘हम आर्थिक क्षतिपूर्ति देने को भी तैयार हैं।’ इस पर अदालत ने कहा कि ‘अगर हम उन्हें मुआवजा देने के लिए कहते हैं तो भुगतान उनके माता-पिता कर देंगे लेकिन इससे किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी। हम चाहते हैं कि व्यक्ति खुद से इसका भुगतान करे।’
मुंडारगी ने इस पर कहा कि दोनों आरोपी सामुदायिक सेवा करेंगे। पीठ ने इन दोनों आरोपियों को निर्देश दिया है कि वे स्वेच्छा से वर्सोवा समुद्री तट की सफाई करें, जिसे ऐडवोकेट अफरोज शाह देख रहे हैं। यह सफाई ये दोनों एक महीने तक हर वीकेंड पर करेंगे। इसके अलावा, इन दोनों को टाटा मेमोरियल अस्पताल को 20,000 रुपये (दोनों को 20-20 हजार रुपये) देने का निर्देश दिया है। इसके बाद कोर्ट ने एफआईआर को खारिज कर दिया। मुंबई उच्च न्यायालय ने पहले भी इस तरह के फैसले सुनाए हैं। 24 फरवरी, 2016 को न्यायाधीश रंजीत मोरे और न्यायाधीश वीएल अचलिया ने 18 युवकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्रवाई को खारिज करते हुए उन्हें मीरा रोड रेलवे स्टेशन और सरकारी स्कूलों में तीन महीने तक हर रविवार को सामाजिक सेवा करने का निर्देश दिया था। वहीं, जनवरी, 2016 को भी एक कोर्ट ने चार युवकों को अपने क्षेत्र में अगले 6 महीनों तक हर रविवार को सफाई काम करने के लिए कहा था।