मुंबई: राजधानी मुंबई के एक बड़े निजी अस्पताल में एक ऑर्गन तस्करी रैकिट का खुलासा होने के दो साल बाद, महाराष्ट्र में सबसे बड़े राज्य संचालित अस्पतालों में से एक जेजे अस्पताल में सोमवार को एक ऐसा ही घोटाला सामने आया है। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले के खुलासे के लिए रोगी जमालुद्दीन के परिवार ने एसीबी की मदद ली। जमालुद्दीन की हालत ऐसी थी कि उन्हें तत्काल प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी। परिवार को उम्मीद थी कि अधिकारी घोटाले को उजागर करने में उनकी मदद करेंगे।
कई अस्पतालों में फैले इस रैकिट की पहुंच यहां तक है कि अस्पताल के कर्मचारी और एजेंट भी इसका हिस्सा हैं। राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की मुंबई इकाई ने सोमवार को जेजे अस्पताल के एक कर्मचारी तुषार सावरकर को गिरफ्तार किया है। तुषार ट्रांसप्लांट ऑथराइजेशन कमिटी के मुंबई जोन के को-ऑर्डिनेटर्स में से एक था।
ऐसे दबोचा गया दूसरा आरोपी: वहीं, दूसरा आरोपी सचिन साल्वे माहिम के एसएल रहेजा हॉस्पिटल में ट्रांस्प्लांट को-ऑर्डिनेटर था। इन दोनों को मलाड के एक युवक से रहेजा हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट को मंजूरी देने के
बदले 1.5 लाख रुपये मांगने के लिए गिरफ्तार किया गया है। एसीबी सूत्रों ने कहा कि घूस की इस रकम को लेकर सावरकर और साल्वे से लंबी बातचीत के बाद रोगी के रिश्तेदारों ने 28 सितंबर को एसीबी से संपर्क किया था। एसीबी के सूत्रों के मुताबिक, रोगी जमालुद्दीन खान (40) को किडनी ट्रांसप्लांट की तत्काल आवश्यकता है और जे जे अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमिटी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ सवाल किए थे कि दाता रोगी से संबंधित है या नहीं।
आरोपी तुषार सावरकर और सचिन साल्वे (इनसेट)
यही वह समय था जब सावरकर और साल्वे ने रिश्तेदारों से संपर्क किया और कहा कि उन्हें 1.5 लाख रुपये देने होंगे और इसके बदले फाइल को मंजूरी दे दी जाएगी। एसीबी के सूत्रों ने बताया कि एसीबी ने सोमवार दोपहर दोनों को रंगे हाथ पकड़ा, जब वे रोगी के रिश्तेदारों से 80,000 रुपये का पहला हिस्सा लेने पहुंचे थे।
सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य में ऑर्गन ट्रांसप्लांट फिर चाहे वह निजी अस्पताल ही क्यों न हो, को जेजे अस्पताल की ट्रांसप्लांट कमिटी द्वारा मंजूरी दी जाएगी। जमालुद्दीन के भाई जाकिर हुसैन ने बताया कि उनका भाई तीन साल तक गुर्दे की बीमारी से पीड़ित था और चार महीने पहले उसकी किडनी फेल हो गई, तभी से उसे नियमित डायलिसिस पर रखा गया था।
उसने कहा, ‘हमारा पूरा परिवार मेरे भाई की मदद करने के लिए आगे आया और हमारी भाभी को एक गुर्दा दान करने के लिए उपयुक्त पाया गया। हमें रहेजा अस्पताल भेजा गया था, जहां सचिन साल्वे ने जेजे के तुषार सावरकर के साथ मिलवाने के लिए भी 10,000 रुपये लिए थे।’