मुंबई : बीएमसी के नायर अस्पताल में भी स्ट्रोक के इलाज में अब थ्रॉम्बोक्टॉमी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। केईएम के बाद शनिवार को नायर अस्पताल में भी थ्रॉम्बोक्टॉमी की शुरुआत की गई। इससे स्ट्रोक के मरीजों को इलाज में काफी राहत मिलेगी।
अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में डिजिटल सब्सट्रैक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) लाई गई है। मंगलवार को इस मशीन और इसकी पूरी तकनीकी का उद् घाटन किया गया। अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. त्रिमूर्ती नंदकर्णी ने कहा कि अब तक अस्पताल में स्ट्रोक मरीजों को केवल थ्रॉम्बोलिसिस के जरिए उपचार दिया जा रहा था। अब इसके इलाज के लिए थ्रॉम्बोक्टॉमी तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाएगा। अस्पताल में रोजाना 5-6 स्ट्रोक के मरीजों को उपचार के लिए लाया जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश अधिकतर मरीजों को देरी से अस्पताल लाया जाता है, जिससे उनमें अपंगता की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। बता दें कि थ्रॉम्बोलिसिस के जरिए स्ट्रोक के 4.30 घंटे तक उपचार किया जा सकता है, जबकि थ्रॉम्बोक्टॉमी के जरिए 18-24 घंटे के भीतर भी उपचार संभव है। थ्रॉम्बोलिसिस में मरीज को इंजेक्शन देकर इलाज किया जाता है, वहीं थ्रॉम्बोक्टॉमी में एंजियोग्राफी के जरिए ब्रेन की धमनियों से ब्लॉकेज निकाला जाता है।