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राफेल के दाम बताने होंगे

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि फ्रांस से खरीदे जाने वाले 36 राफेल विमानों की कीमत के बारे में अदालत को 10 दिन के अंदर जानकारी दें। सौदे के फैसले से संबंधित प्रक्रिया और भारतीय कंपनी को साझीदार बनाए जाने से जुड़ी सूचनाएं याचिकाकर्ताओं को मुहैया कराई जाएं। जो जानकारियां गोपनीय हैं और याचिकाकर्ताओं को नहीं दी जा सकतीं, उनके बारे में सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में अवगत कराया जाए।
राफेल सौदे और अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को फ्रांसीसी कंपनी दसॉ का घरेलू पार्टनर बनाने को कांग्रेस की ओर से मुद्दा बनाए जाने के बीच सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश आया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, ‘इस मामले में जो याचिकाएं दाखिल हुई हैं, उनमें राफेल फाइटर की योग्यता या वायुसेना के लिए उपयोगिता पर सवाल नहीं उठाए गए हैं। सवाल सौदे की प्रक्रिया, उसकी कीमत और प्रबंधन को लेकर हैं।’ बेंच ने कहा, ‘सरकार ने फैसले की प्रक्रिया के बारे में जो सीलबंद रिपोर्ट पेश की है, उस पर हम टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। हमारी राय है कि रिपोर्ट की जो बातें सार्वजनिक हो सकती हों, उन्हें याचिकाकर्ताओं को दिया जाए।’ सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग दोहराई। पूर्व मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने भी अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की है। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने टिप्पणी की कि इसके लिए आपको इंतजार करना होगा, पहले सीबीआई को अपना घर तो दुरुस्त कर लेने दीजिए। संभवत: कोर्ट का इशारा सीबीआई के अंदर चल रहे घमासान की तरफ था।
चुनाव से हमें क्या लेना-देना’
सुनवाई शुरू होते ही एक याचिकाकर्ता एम़ एल़ शर्मा ने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, लिहाजा सुनवाई टाली जानी चाहिए क्योंकि कहा जा रहा है कि अर्जी पूर्वाग्रह के कारण हैं। हम विस्तार से दलीलें देना चाहते हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें इससे (चुनाव से) क्या लेना-देना। जहां तक डिटेल में सुनवाई का सवाल है तो अगर इसकी जरूरत हुई तो देखा जाएगा।
केंद्र की आनाकानी पर कोर्ट ने मांगा हलफनामा
राफेल सौदे के विवरण याचिकाकर्ताओं को देने के निर्देश पर अटॉर्नी जनरल के़ के़ वेणुगोपाल ने कहा, ‘कई जानकारियां गोपनीय हैं, उन्हें आम नहीं किया जा सकता। ये सरकारी गोपनीयता कानून के तहत सुरक्षित हैं। कीमत तो संसद में भी नहीं बताई गई।’ इस पर अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि अगर आप कीमत को गोपनीय मानते हैं और नहीं बता सकते, तो हलफनामा दाखिल करें।

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