मुंबई : अवैध निर्माण पर कार्रवाई करनी हो या अग्निशमक नियमों की जांच करनी हो, हर विभाग की केवल एक ही शिकायत है कम स्टॉफ की। होटलों की जांच से लेकर शिक्षा के सुधार में, हर जगह कम स्टॉफ के चलते काम बाधित हो रहा है। प्रशासन स्थायी पदों की बजाय ठेके पर लोगों को नियुक्त कर काम तो चला रहा है लेकिन इससे बुरी तरह से काम प्रभावित होने का आरोप लग रहा है।
बीएमसी में कुल 1,51,680 स्वीकृत पदों में से 1,04,743 पदों ही लोग काम कर रहे हैं, शेष 46,937 पद खाली पड़े हैं।
पिछले दिनों अस्पताल में कपड़े समय पर धुलकर न आने के मामले में एनबीटी ने जब पड़ताल की थी, तो लॉन्ड्री में भी कम स्टॉफ होने का सच सामने आया था।
काम अधिक, हाथ नहीं: कर्मचारियों की कम संख्या के चलते अन्य कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। सोशल मीडिया के जमाने में उच्च अधिकारियों द्वारा तुरंत रिपोर्ट मंगाई जाने की स्थिति भी उनका तनाव बढ़ाने को काफी होती है।
एक अधिकारी ने बताया कि अब हर शाम हमें अपने ग्रुप में रिपोर्ट देनी होती है। बड़े अधिकारियों के यहां से कभी भी बुलावा आ जाता है। कोर्ट और लोकायुक्त के चक्कर अलग से। आखिर हम काम करेंगे कब/ अंत में काम न होने का ठिकरा भी हम पर ही फूटता है। हालांकि, कई बार कर्मचारियों के अपनी सीट पर न रहने को लेकर भी शिकायतें आती हैं।