मुंबई : मुंबई उच्च न्यायालय ने ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को गलत रूप से चित्रित किए जाने का दावा करते हुए वकील विवेक तांबले ने इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। लेकिन अदालत ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
तांबले का दावा है कि वह झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के परिवार में पांचवीं पीढ़ी के सदस्य हैं। तांबले ने इसी हफ्ते उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उनका दावा है कि कंगना रनौत अभिनीत इस फिल्म में कई ऐतिहासिक तथ्य गलत हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, फिल्म में बताया गया है कि झांसी की रानी का जन्म 1828 में हुआ था, जबकि उनका जन्म वास्तव में 1835 में हुआ था। फिल्म के निर्माताओं ने याचिका का विरोध किया और कहा कि जन्म वर्ष इतिहासकारों ने बताया था।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के वकील अद्वैत सेठना ने मुख्य न्यायाधीश एनएच पाटील और न्यायमूर्ति एनएम जामदार की पीठ के समक्ष कहा कि बोर्ड की परीक्षण समिति ने फिल्म को प्रमाण पत्र देने से पहले उचित विचार किया था। उन्होंने कहा कि फिल्म में यह सूचना (डिसक्लेमर) भी दी गई है कि कुछ तत्वों को नाटकीय और काल्पनिक बनाया गया है और इसका इरादा किसी व्यक्ति की भावना को आहत करने का नहीं है।
पीठ ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाकर कोई अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं है। अदालत ने निर्माता को याचिका के जवाब में दो सप्ताह के अंदर अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज हो रही है।