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बीएमसी के बाला साहेब ठाकरे ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण 5 मरीजों के आंखों की रोशनी छीनी

मुंबई: बीएमसी के बाला साहेब ठाकरे ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण 5 मरीजों के आंखों की रोशनी जाने के बाद इस मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए इस्तेमाल होने वाले ‘स्कोप’ को बिना साफ किए इस्तेमाल करने और ऑपरेशन थिअटर की सफाई के अभाव से आंखों में संक्रमण फैल गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने अस्पताल के सुपरिटेंडेंट को डिमोट करने के साथ ही, सर्जरी करने वाले डॉक्टर की छुट्टी कर दी गई है। बीएमसी से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार को रिपोर्ट आने के बाद शुरुआती स्तर पर डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण मरीजों के साथ ऐसी घटना घटी। बीएमसी की अडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर आई.ए. कुंदन ने कहा, ‘अस्पताल के लापरवाह रवैये को देखते हुए अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. हरभान सिंह बावा का डिमोशन कर उन्हें दूसरे अस्पताल भेज दिया गया है। वहीं, ऑपरेशन करने वालों में शामिल मानद डॉक्टर को अस्पताल से हटा दिया गया है। इसके साथ ही मामले के लिए जिम्मेदारी 3 और लोगों को नोटिस दिया गया है।’

बता दें कि 4 जनवरी को अस्पताल में कई मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया। अगले दिन जब मरीजों की आंखों से पट्टी हटाई गई, तो 7 मरीजों की आंखों में अजीब सी लालिमा दिखी। आनन-फानन में मरीजों को बीएमसी के केईएम अस्पताल भेज दिया गया। जहां तमाम कोशिशों के बावजूद 5 मरीजों की आंखों की रोशनी नहीं बचाई जा सकी। हालांकि इस दौरान दो मरीजों की आंखें बचाने में डॉक्टर सफल रहे। कुंदन ने कहा, ‘बीएमसी हादसे से प्रभावित होने वाले मरीजों के साथ है और उन्हें हम हर संभव मदद करेंगे। जिन मरीजों को नेत्रदान के जरिए नई रोशनी मिल सकती है, उनका प्राथमिकता के आधार पर ट्रांसप्लांट किया जाएगा।’

वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. लहाने ने कहा, ‘मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद संक्रमण फैलने की संभावना होती है, लेकिन समय रहते सही इलाज देने से आंखें बचाई जा सकती हैं। जे.जे. अस्पताल में हर साल ऐसे कई मरीज आते हैं, जिनकी आंखों में मोतियाबिंद की सर्जरी होने के बाद संक्रमण फैल जाता है, लेकिन अस्पताल के पास उपलब्ध अडवांस तकनीक से उनकी आंखें बचा ली जाती हैं। इन मरीजों को भी शुरुआती स्तर पर जेजे भेजा गया होता, तो शायद इनकी रोशनी नहीं जाती।’

 

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