बच्चों के अंतिम संस्कार में पहुंचा पूरा गांव, किसी को नहीं हो रहा यकीन
कांगड़ा
कहते हैं जनाजा जितना छोटा होता है, दर्द उतना ही अधिक होता है। हिमाचल प्रदेश के नूरपुर कस्बे के खुवाड़ा गांव में अपने जिगर के टुकड़ों को विदाई देते हुए हर आंख नम थी। कल तक सुबह स्कूल ड्रेस में तैयार होकर जा रहे बच्चे आज कफन में लिपटे थे और स्कूल बस तक छोड़कर आने वाले हाथ कांपते हुए उन्हें अंतिम यात्रा पर ले जा रहे थे। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि वक्त की गाज उन पर ऐसी गिरेगी कि एक पल में उनके मासूमों को छीन लेगी। हर कोई कह रहा था कि किस्मत आखिर इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है। यह दर्द कितना ज्यादा और जख्म इतना गहरा था कि परिजनों को सांत्वना देने वाले खुद बिलख-बिलख कर रोने लगते। श्मशान घाट पर गांव के सभी 13 मासूमों को एक साथ मुखाग्नि दी गई। सोमवार को स्कूल बस के खाई में गिरने से 27 बच्चों समेत 30 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें 13 बच्चे खुवाड़ा के ही थे। सभी बच्चों के शव जब शाम तक