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वास्तु शास्त्र

अंतर्मन को जगाती है कांवड़ यात्रा, जानें कौन थे प्रथम कांवड़िया

अंतर्मन को जगाती है कांवड़ यात्रा, जानें कौन थे प्रथम कांवड़िया

पवित्र श्रावण मास में कांवड़ लेकर श्रद्धालु निकल पड़े हैं अपने भोले बाबा से मिलन की यात्रा की ओर। गली-मोहल्ले 'बोल बम', 'हर हर महादेव' के जयकारों से गूंजने लगे हैं। माना जाता है कि रावण पहला कांवड़िया था, जो अपने आराध्य बाबा बैद्यनाथ से मिलने के लिए पैदल ही कंटकाकीर्ण मार्ग की यात्रा पर चल पड़ा था। एक मान्यता यह भी है कि भगवान राम पहले कांवड़िये थे, जो मीलों यात्रा कर रामेश्वरम पहुंचे और वहां शिवलिंग की पूजा-अराधना की। सत्य चाहे जो भी हो, हिंदू धर्म में यात्राओं का बहुत महत्व है। समय-समय पर श्रद्धालु चार धाम यात्रा, अमरनाथ यात्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा करते रहते हैं। सभी माह में श्रेष्ठ श्रावण में भी कांवड़िए दूर-दूर से यात्राएं पूरी कर भोले शंकर का गंगा जल से अभिषेक करते हैं। तीर्थ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है बिंदु के पार (क्रॉसिंग ओवर द प्वाइंट)। इसका अभिप्राय एक ऐसे पवित्र स
पूर्वजों का ऋण उतारने पितृपक्ष में करें श्राद्ध

पूर्वजों का ऋण उतारने पितृपक्ष में करें श्राद्ध

मुंबई : हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष शुरू हो गया है। यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर 8 अक्टूबर को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलेगा। इस दौरान पितरों को तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। आचार्य बालकृष्ण मिश्र के मुताबिक, पितरों का ऋण उतारने के लिए पितृपक्ष में तर्पण किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस पक्ष में पितृ यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने परिवार के आस-पास विचरण करते हैं। इस दौरान उनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण, मुक्ति के लिए विशेष क्रिया संपन्न कर अर्ध्य समर्पित किया जाता है, जो सीधे पूर्वजों उन तक पहुंचता है। आचार्य के मुताबिक, पितृपक्ष में श्राद्ध को लेकर कुछ नियम हैं, जिसका पालन करना चाहिए। व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी की मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई, तो उसका श्राद्
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, पूजा विध‍ि और महत्‍व

अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, पूजा विध‍ि और महत्‍व

गणपति बप्‍पा (Ganpati Bappa) की पूजा और सेवा के बाद गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) की परंपरा है. वैसे तो गणेश चतुर्थी क दिन भी विसर्जन किया जाता है, लेकिन ज्‍यादातर लोग 10 दिनों तक बप्‍पा की सेवा करने के बाद उन्‍हें विसर्ज‍ित करना पसंद करते हैं. कई लोग गणेश चतुर्थी के अगले दिन भी गणेश विसर्जन करते है, जिसे डेढ़ दिन के गणपति का विसर्जन कहा जाता है. लेकिन अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन गणपति विजर्सन (Ganpati Visarjan) की परंपरा सबसे ज्‍यादा प्रचलित है. गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद यानी कि 11वें दिन अनंत चतुर्दशी आती है और इस दिन पूरे धूमधाम से गणपति विसर्जन किया जाता है. गणपति विसर्जन (Ganesh Visarjan) का महत्‍व हिन्‍दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्‍थान है. कोई भी पूजा, हवन या मांगलिक कार्य उनकी स्‍तुति के बिना अधूरा है. हिन्‍दुओं में गणेश वंदना के साथ ही किसी नए काम की शुरुआत ह
घर में एक्वेरियम रखने की ये होती है सही जगह, मछली मरने पर करें ये उपाय

घर में एक्वेरियम रखने की ये होती है सही जगह, मछली मरने पर करें ये उपाय

आज के दौर में कई घरों में फिश एक्वेरियम रखने का प्रचलन काफी बढ़ चुका है। फेंगशुई के अनुसार, एक्वेरियम न सिर्फ खुशी देता है, बल्कि इनसे घर के सदस्यों के ऊपर आने वाली समस्त विपत्तियां टलती हैं। घर में धन-संपत्ति के आगमन में निरंतरता बनी रहती है। हालांकि, फेंगशुई के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करते हुए एक्वेरियम रखा जाए तभी इसका पूरा लाभ मिलता है। ऐसी मान्यता है कि घर पर रंगीन मछलियां पालने से घर के सदस्यों पर आने वाली मुसीबतें टल जाती हैं। फेंगशुई शास्त्र कहता है कि मछली धन को आकर्षित करती है और किसी भी आपदा को अपने ऊपर ले लेती है। घर या ऑफिस में फिश एक्वेरियम रखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइए जानते हैं। फेंगशुई शास्त्र के अनुसार एक्वेरियम को पूर्व, उत्तर और पूर्व-उत्तर की दिशा में रखना शुभ माना जाता है। दांपत्य जीवन में आपसी प्रेम बनाए रखने के लिए इसे मुख्य द्वार के बाईं ओर रखे
झाड़ू के इन टोटकों से आती है घर में समृद्धि, जानें आसान लेकिन जरूरी बातें

झाड़ू के इन टोटकों से आती है घर में समृद्धि, जानें आसान लेकिन जरूरी बातें

हर व्यक्ति सुख, आर्थिक संपन्नता और शांति चाहता है। मगर, इसे हासिल करना इतना भी मुश्किल नहीं है। अगर आप अपने घर में सिर्फ झाड़ू से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखेंगे, तो न सिर्फ आपके घर की कलह खत्म होगी, बल्कि मां लक्ष्मी का भी वास होगा। झाड़ू का महत्व इससे भी समझा जा सकता है कि रोगों को दूर करने वाली शीतला माता अपने एक हाथ में झाड़ू लिए रहती हैं। अत: झाड़ू का नियमित उपयोग करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है, जानते हैं इसके बारे में.... सूर्यास्त होने के बाद कभी भी झाड़ू नहीं लगानी चाहिए। माना जाता है कि इससे लक्ष्मी रूठ जाती हैं। वहीं, इसका एक और दर्शन यह भी है कि यदि कोई कीमती वस्तु गिर गई है, तो सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाने से वह दिखेगी नहीं और कचरे के साथ घर से बाहर चली जाएगी। वास्तु शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति झाड़ू को एक ही नियत स्थान पर रखने की बजाय कहीं भी
आइना है तो ध्यान रखें ये 10 बातें, बढ़ सकती है आपकी इनकम

आइना है तो ध्यान रखें ये 10 बातें, बढ़ सकती है आपकी इनकम

घर में रखी हर एक वस्तु का संबंध वास्तु शास्त्र से होता है। वास्तु शास्त्र में घर की चीजों के लिए सही-गलत जगहें बताई गई हैं। अगर चीजें सही जगहों पर रखी रहती है तो घर में सकारात्मकता बनी रहती है और कार्यों में सफलता मिलने की संभावनाएं बनी रहती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री के अनुसार वास्तु में ये भी बताया गया है कि घर में आइना कहां लगाना चाहिए और कहां नहीं, यहां जानिए दर्पण से जुड़ी खास बातें... 1.घर में ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में आइना लगाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखने से आय में वृद्धि होने के योग बन सकते हैं। 2.घर में दक्षिण, पश्चिम, आग्नेय (दक्षिण-पूर्व दिशा), वायव्य (उत्तर-पश्चिम दिशा) और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में दीवारों पर लगे हुए दर्पण अशुभ फल देते हैं। अगर आपके यहां इस प्रकार के दर्पण लगे हुए हैं तो ध्यान रखें जब इनका उपयोग न हो, इन्हें ढंक देना च
जब पत्नी हो गर्भवती तो कमरे में भूलकर भी न रखें ये चीजें, एक भी हो तो तुरंत हटा दें

जब पत्नी हो गर्भवती तो कमरे में भूलकर भी न रखें ये चीजें, एक भी हो तो तुरंत हटा दें

जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसका खास ख्याल रखा जाता है। परिवार का हर सदस्य उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखता है। इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाता है कि प्रेग्नेंट महिला को मानसिक रूप से कोई परेशानी न हो, उसे खुशनुमा माहौल दिया जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान यदि महिला को कोई परेशानी होती है तो उसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी हो सकता है। उज्जैन के ज्योतिषी पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, गर्भवती महिला के कमरे में कुछ चीजें भूलकर भी नहीं रखनी चाहिए। ये चीजें निगेटिव असर उत्पन्न करती हैं, इसका असर गर्भवती महिला की मानसिक स्थिति पर भी हो सकता है। इसलिए ऐसी चीजों को प्रेग्नेंट महिला के कमरे से तुरंत हटा देना चाहिए। ये चीजें इस प्रकार हैं- 1 . प्रेग्नेंट महिला के कमरे में कोई भी हिंसक तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। 2. गर्भवती महिला के कमरे में कोई नुकीली चीज में नहीं
घर में लॉफिंग बुद्धा कहां और कैसे रखना चाहिए, जानें किस काम के लिए कौन सी मूर्ति रखें

घर में लॉफिंग बुद्धा कहां और कैसे रखना चाहिए, जानें किस काम के लिए कौन सी मूर्ति रखें

जिस प्रकार भारत में वास्तु प्रचलित है, ठीक उसी प्रकार चीन में फेंगशुई प्रचलन में है। फेंगशुई में भी सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के आधार पर ही उपाय बताए गए हैं। भारत में भी अब फेंगशुई की चीजें आसानी से मिल जाती है। अधिकतर लोग घर में लॉफिंग बुद्धा रखते हैं, ये फेंगशुई से ही संबंधित है। फेंगशुई में इस्तेमाल होने वाले छोटे-छोटे यंत्रों से वास्तु दोषों का भी हल निकलता है। मान्यता है कि लाफिंग बुद्धा जिस स्थान पर भी विराजित होते हैं, वहां धन की कमी नहीं रहती है। यहां उज्जैन की वास्तु और फेंगशुई विशेषज्ञ डॉ. विनिता नागर के अनुसार लॉफिंग बुद्धा से जुड़ी खास बातें... लाफिंग बुद्धा मुख्य द्वार के आसपास और जमीन से करीब तीन फीट की ऊंचाई पर रखना चाहिए। यह मूर्ति घर में प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा का अभिनंदन करती है और नकारात्मक ऊर्जा को घर में आने से रोकती है। यहां किस मनोकामना के लिए लॉफिंग ब
चैत्र नवरात्र 2018ः आज कूष्मांडा देवी की पूजा, मिलता है ये लाभ

चैत्र नवरात्र 2018ः आज कूष्मांडा देवी की पूजा, मिलता है ये लाभ

आज चैत्र नवरात्र का चौथा दिन है। देवी भाग्वत् पुराण में बताया गया है कि इस दिन मां दुर्गा की पूजा कूष्मांडा रूप में करनी चाहिए। देवी कूष्मांडा आदिशक्ति का चौथा स्वरूप हैं। पुराण में बताया गया है कि प्रलय से लेकर सृष्टि के आरंभ तक चारों ओर अंधकार ही अंधकार था और सृष्टि बिल्कुल शून्य थी तब आदिशक्ति मां दुर्गा ने अंड रूप में ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण देवी का चौथा स्वरूप कूष्मांडा कहलाया। सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी कूष्मांडा को आदिशक्ति के रूप में जाना जाता है। इनके स्वरूप का वर्णन करते हुए पुराण में कहा गया है कि इनकी आठ भुजाएं हैं और ये सिंह पर सवार हैं। मां कूष्मांडा के सात हाथों में चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, अमृत से भरा हुआ कलश, बाण और कमल का फूल है तथा आठवें हाथ में माता के जपमाला है जो सभी प्रकार की सिद्धियों से युक्त है। सूर्य के प्रभामंडल के अंदर इनका निवास माना गया है।
संपत्ति के लिए वास्तु टिप्स

संपत्ति के लिए वास्तु टिप्स

संपत्ति के लिए वास्तु का उद्देश्य धन के देवता, भगवान कुबेर को खुश रखने के लिए है ऐसा सोचा जा सकता है । जब वह खुश होते हैं तब संपत्ती, भाग्य तथा समृध्दि की बरसात उनके भक्तों पर होती है । हालांकि, संपत्ति के लिए वास्तु सिर्फ भगवान को खुश करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए इसलिए इसका हर धर्म और सीमाओं पर अतिक्रमण होता है क्योंकि अधिकांश पुरूषों का उद्देश्य और महत्वाकांक्षा होती है कि जितना ज्यादा हो सके उतना कमाए तथा इसके लिए वे कड़ी मेहनत भी करते हैं व चालाकी से खर्च करते हैं और निवेश पसंद करते हैं । वास्तु ऐसे लोगों का समर्थन करके सुनिश्चित करता है कि उन्होंने अपनी मेहनत से कमाए हुए पैसों में घाटा न हो बल्कि मात्र वृध्दि होती रहे । संपत्ति के लिए वास्तु टिप्स का न केवल घर में बल्कि कार्यालयों में भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए । नीचे कुछ संपत्ति के लिए वास्तु टिप्स का उल्लेख किया है – सदोष टंकी