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एशियन गेम्स में भारत की शान हैं कविता, कभी ढाबा में लगाती थीं झाड़ू

एशियन गेम्स में भारत की शान हैं कविता, कभी ढाबा में लगाती थीं झाड़ू

कविता ठाकुर, एक ऐसा नाम जो आज एशियाई खेलों में रौशन होने के लिए पूरी तरह से तैयार है. कविता ठाकुर भारतीय महिला कबड्डी टीम की खिलाड़ी हैं जो हिमाचल प्रदेश के मनाली से 6 किलोमीटर दूर एक गांव जगतसुख के एक ढाबा में रहती थीं. 24 साल की इस खिलाड़ी ने साल 2014 में एशियाड में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था. लेकिन कहते हैं न कि हौंसले बुलंद हो तो कोई भी चीज नामुमकिन नहीं लगती है. कविता का बचपन ज्यादातर समय बर्तन और ढाबा में झाड़ू लगाने में बीता. कविता जिस ढाबा में काम करती थीं ये उनके माता पिता ही चलाते थे. पिता पृथ्वी सिंह और माता कृष्णा देवी उस ढाबे पर चाय बेचकर अपना गुजारा करते थें. लेकिन तब उनके लिए इकलौती सहारा सिर्फ उनकी बेटी कविता ही थी. कविता बताती हैं कि, ''मैं अपने माता- पिता के साथ ढाबे पर काम करती है. बर्तन धोती थी, ढाबा में झाड़ू लगाती थी. मैंने अपने शुरूआती दिनों में काफी संघर्ष किय