मुंबई:
मुंबई उच्च न्यायालय ने घाटकोपर में वर्ष 2017 में गिरी इमारत के पीड़ितों को मामले में मुख्य आरोपी और शिवसेना नेता सुनील शितप की जमानत पर सुनवाई में हस्तक्षेप करने की इजाजत दे दी है। न्यायमूर्ति एएस गडकरी ने 11 परिवारों की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने घटना में अपने प्रियजनों और घरों को खोया है।घाटकोपर में पिछले साल 25 जुलाई को एक चार मंजिला रिहायशी इमारत ढह गई थी, जिसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी और कई जख्मी हो गए थे। बीएमसी की जांच में घटना के लिए काफी हद तक शितप को दोषी ठहराया गया था। शितप ने इमारत के भूतल पर दो फ्लैट खरीदे थे और फ्लैटों के ढांचे में कथित रूप से अवैध
बदलाव कराए थे। पुलिस ने शितप के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था और उसे गिरफ्तार कर लिया था। शितप ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए जमानत याचिका दायर की लेकिन पिछले साल नवंबर में निचली अदालत ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद उसने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया।
पीड़ितों के परिवारों ने उच्च न्यायालय में शितप की जमानत याचिका का विरोध किया और उसे राहत नहीं देने का अनुरोध किया। उन्होंने अपनी हस्तक्षेप याचिका में दावा किया कि शितप और उसके परिवार के सदस्यों ने बिना पूर्व अनुमति या सोसाइटी की सहमति के फ्लैटों के उपयोग में बदलाव करके उसे रिहायशी से व्यावसायिक कर दिया था। उच्च न्यायालय दो हफ्ते बाद उसकी जमानत पर और हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करेगा।