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पेड़ से नहीं हो पाया था जेजे शूटआउट

मुंबई
दाऊद इब्राहिम के पुराने साथी फारुख मोहम्मद यासीन मंसूरी की सीबीआई ने 1993 के मुंबई धमाकों में गुरुवार को कस्टडी ली। यही फारुख 1992 के चर्चित जेजे शूटआउट में भी आरोपी है। जेजे शूटआउट पर अब तक बहुत कुछ लिखा और दिखाया गया, पर उस केस से जुड़े एक अधिकारी ने उस वारदात की एक नई ही कहानी सुनाई—पेड़ की कहानी। इस अधिकारी का कहना है कि यह शूटआउट अस्पताल के बाहर लगे एक पेड़ पर बैठकर टेलिस्कोपिक राइफल से होना था, पर बाद में शूटर सीधे अस्पताल में ही घुस गए। कई बार हुई रेकी
12 सितंबर, 1992 को हुए उस शूटआउट में दो पुलिस वाले शहीद हो गए थे, जबकि एक घायल हो गया था। पुलिस की तरफ से हुई जवाबी कार्रवाई में दाऊद के चार लोग घायल हो गए थे। जब इस केस में कई आरोपी गिरफ्तार हुए, तो उन्होंने पूछताछ में बताया कि उन्होंने वारदात से पहले अस्पताल के अंदर और बाहर की कई बार रेकी की थी। इसी रेकी में उन्हें पता चला था कि गवली गैंग का बिपिन शेरे अस्पताल के पहले माले के चार नंबर वार्ड में भर्ती है, जबकि उसके दूसरे साथी शैलेश हलदनकर का तीसरे माले पर 18 नंबर वार्ड में इलाज चल रहा है।

नारियल के पेड़ से शूटआउट
रेकी के दौरान शूटरों ने नोट किया कि पहले माले की खिड़की के बाहर कुछ दूरी पर नारियल का एक बड़ा पेड़ है। उन्होंने तय किया कि इस पेड़ पर चढ़कर पहले बिपिन शेरे का काम तमाम करेंगे और फिर नीचे से सीधे तीसरे माले पर शैलेश हलदनकर के वार्ड में घुसेंगे। लेकिन पहले माले पर भर्ती एक मरीज ने उनकी सारी रणनीति पर पानी फेर दिया।

पर्दे ने बिगाड़ा गेम
उस दिन तेज हवा चल रही थी, इसलिए उस मरीज ने हवा और ठंड से बचने के लिए खिड़की का परदा गिरा दिया, इस वजह से शूटरों को अंदर का कुछ दिखाई नहीं पड़ा। इस कारण शूटर 6 प्रकार के अत्याधुनिक हथियारों से लैस रात 3 बजकर 38 मिनट पर अस्पताल में सीधे तीसरे माले पर घुसे और फिर पूरे 50 सेकेंड तक अस्पताल में अंधाधुंध गोलीबारी होती रही।

शूटर ने पहने थे बुलेट प्रूफ जैकेट
शूटआउट में कभी आरोपियों की तरफ से, तो कभी पुलिस की तरफ से गोलियां चल रही थीं। शूटरों में कम से कम दो बुलेट प्रूफ जैकेट पहने हुए थे। बुलेट प्रूफ जैकेट की कहानी इसलिए पता चली, क्योंकि तीसरे माले पर वार्ड नंबर 18 में तैनात पुलिस अधिकारी कृष्ण अवतार गुलाब सिंह ठाकुर ने जब एक शूटर को महज एक फीट की दूसरी से यानी पॉइंट ब्लैंक से गोली मारी, तो भी वह घायल नहीं हुआ था।

साइलेंसर भी थे
शूटर सिर्फ बुलेट प्रूफ जैकेट में ही नहीं थे। कुछ के पास साइलेंसर भी थे, ताकि गोलियों की आवाज सुनाई ही न पड़े। ठाकुर के साथ इस केस में बहुत कुछ हुआ। उनका नाम पहले गैंलेंट्री अवॉर्ड के लिए प्रस्तावित हुआ, पर बाद में उनकी फाइल पुलिस मुख्यालय से बाहर भेजी ही नहीं गई। उन्हें उनकी बहादुरी के लिए राज्य सरकार ने एक लाख रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की , पर बाद में जब यह राशि घटाकर 25 हजार रुपये कर दी गई, तो उन्होंने यह पुरस्कार लेने से ही मना कर दिया।

मुकदमे के दौरान उन्हें कोर्ट में हॉस्टाइल घोषित कर दिया गया, फिर उन्हें पुलिस की नौकरी से निकाल दिया। बाद में उन्होंने जब राज्य सरकार के सामने अपने केस की अपील की और अपना पक्ष रखा, तो उन्हें पुलिस की नौकरी में वापस रख दिया गया। अगस्त, 2013 में वह पुलिस सर्विस से रिटायर हुए।

जेजे शूटआउट में कुल 24 लोग आरोपी
जेजे शूटआउट में कुल 24 लोग आरोपी बनाए गए थे। 9 अभी भी वॉन्टेड हैं। इस केस के एक आरोपी सुनील सावंत उर्फ सावत्या का दुबई में मर्डर हो गया, जबकि सुभाष सिंह ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा हुई। बाकी आरोपी इसलिए बरी हो गए, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मुकदमे के दौरान कई गवाहों को अंडरवर्ल्ड से धमकी भरे फोन आए– खुद कृष्ण अवतार गुलाब सिंह ठाकुर को भी।

गवली-दाऊद की लड़ाई
जेजे शूटआउट दरअसल, गवली और दाऊद गिरोह के बीच कई महीनों से चल रही रंजिश का खूनी वार था। दरअसल, 26 जुलाई 1992 को अरुण गवली के 4 शूटरों ने नागपाड़ा में दाऊद के बहनोई और हसीना परकार के पति इब्राहिम का मर्डर कर दिया था। आरोप है कि इब्राहिम की हत्या अरुण गवली ने अपने भाई पापा गवली की हत्या के जवाब में करवाई थी। दाऊद अपने बहनोई के कत्ल को भूला नहीं और उसने इब्राहिम की हत्या में शामिल चार शूटरों शैलेश हलदनकर, बिपिन शेरे, राजू बटाटा और संतोष पाटील को सबक सिखाने का फैसला किया। ये चारों तो नहीं, पर एक महीने बाद इनमें से दो—शैलेश और विपिन पब्लिक के हाथ लग गए। लोगों ने इन्हें मारा। इस वजह से वे घायल हो गए। इस कारण उन्हें जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

सामने आ सकती हैं नई जानकारियां
दाऊद तक जब ये खबर पहुंची, तो उसने अपने लोगों को फोन घनघनाने शुरू कर दिए। उसके बाद की कहानी कई फिल्मों की स्क्रिप्ट बन चुकी है। मंगलवार को दुबई से फारुख मोहम्मद यासीन मंसूरी के आने के बाद निश्चित ही इस स्क्रिप्ट में कई लाइनें अब नई जुड़ेंगी—शायद अस्पताल के पेड़ से जुड़े कुछ किस्से भी।

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