मुजफ्फराबाद
भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित क्षेत्र कश्मीर में हजारों की संख्या में मजदूर दिन रात हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रॉजेक्ट्स की खुदाई के लिए लगे रहते हैं। यह वह इलाका है कि जहां भारतीय उपमहाद्वीप में ताजे पानी के संकट से निपटने के लिए भारत और पाकिस्तान में ज्यादा से ज्यादा जल का रुख अपनी ओर मोड़ने की होड़ है। दोनों देश यहां नीलम या किशनगंगा नदी पर बड़े से बड़े पावर प्लांट्स स्थापित करने में जुटे हैं। लाइन ऑफ कंट्रोल के दोनों ओर दो प्रॉजेक्ट्स पूरे होने वाले हैं।
ये प्रॉजेक्ट्स भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का एक और कारण बने हैं। पाकिस्तान को डर है कि भारत की पानी की बढ़ती जरूरतों के चलते उसके प्रॉजेक्ट्स प्रभावित होंगे। दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच यह इलाका बीते 70 वर्षों से विवाद का कारण बना हुआ है। अब पानी को अपनी ओर मोड़ने की होड़ ने इस संघर्ष को और तेज कर दिया है। नीलम नदी पर दोनों देशों के बीच ताजे पानी को कब्जाने के लिए जंग चल रही है। दोनों ही देशों की तेजी से बढ़ती आबादी के चलते जल संसाधन सिमट रहे हैं और उन्हें कब्जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा था कि पानी के संकट के चलते भविष्य में पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए मुसीबत पैदा हो जाएगी। इसके अलावा कश्मीर का भूगोल भी दोनों देशों की बीच संघर्ष की समस्या को और बढ़ाता है। नीलम नदी का जल अंतत: एशिया की सबसे लंबी नदी सिंधु में जाकर मिलता है, जो दोनों देशों की संवेदनशील सीमाओं को तय करने का काम करती है। किशनगंगा कही जाने वाली नीलम नदी तिब्बत से निकलती है और कश्मीर के रास्ते पाकिस्तान जाती है। पाकिस्तान के पंजाब सूबे समेत बड़े इलाके की 65 फीसदी पानी की जरूरत नीलम नदी के जल से ही पूरी होती है। भारत के इलाके से होकर ही नीलम नदी पाकिस्तान तक पहुंचती है।
दोनों देशों के बीच 1960 में वर्ल्ड बैंक की अगुआई में सिंधु जल समझौता हुआ था। दोनों देशों के कड़वे इतिहास को देखते हुए यह शांतिपूर्ण समझौता बेहद अहम माना जाता है। इस समझौते के तहत भारत के पास व्यास, रावी और सतलुज नदी के पानी का अधिकतम हिस्सा है, जबकि पाकिस्तान के पास सिंधु, चेनाब और झेलम नदी के पानी के इस्तेमाल का अधिकार है। झेलम नदी के सहायक के तौर पर नीलम का पानी पाकिस्तान की सीमा में जाकर उसमें मिलता है। यहीं पर पाकिस्तान ने भारत के किशनगंगा प्रॉजेक्ट के जवाब में नीलम-झेलम पावर प्लांट स्थापित किया है।
नीलम और झेलम नदी के संगम पर पाकिस्तान की ओर से कंक्रीट और स्टील का अंडरग्राउंड कैथेड्रल तैयार किया जा रहा है। यहां 4 जेनरेटर लगातार काम कर रहे हैं और यहां ट्रांसफॉर्मर्स और नेटवर्क का इंतजार किया जा रहा है। यहां 28 किलोमीटर के दायरे में 6,000 पाकिस्तानी और चीनी वर्कर्स अंडरग्राउंड टनल की खुदाई में बिजी हैं। माना जा रहा है कि इस डैम का काम पूरा होने के बाद पाकिस्तान को 2018 के मध्य तक 969 मेगावॉट तक बिजली मिल सकेगी। सितंबर 2016 में उड़ी कैंप पर आतंकी हमले के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल समझौते पर विचार करने की बात कही थी।