अयोध्या
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने दावा किया है कि राम सेतु, भगवान श्री राम द्वारा बनवाया गया ही पुल है और इस बात को प्रमाण सहित अमेरिका के एक न्यूज चैनल में प्रसारित किया गया है। वीएचपी पदाधिकारी और संत धर्माचार्यों ने राम सेतु का विरोध करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मुस्लिम देशों ने श्रीराम को अपनाया उनके जीवन चरित्र को आत्मसात किया परन्तु हिन्दुओं को विभाजित करने वालों ने तो श्रीराम को ही अदालत में खड़ा कर दिया, यह इस देश का दुर्भाग्य है।’
श्रीरामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा, ‘रामसेतु को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा इसकी सत्यता पर सवालिया निशान उठाने वाले भगवान श्रीराम को ही काल्पनिक कहकर नकारते रहे, लेकिन जो सत्य है वह सत्य है। जिस प्रकार जल, थल, नभ और सूर्य, चन्द्र है, उसी प्रकार भगवान श्रीराम का जन्म और उनका सम्पूर्ण जीवन चरित्र भी सत्य है। इस देश का दुर्भाग्य है कि जिस श्रीराम के होने का अस्तित्व विदेशी स्वीकार करते हैं, उसी परब्रह्म को तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों को स्वीकार करने में शर्म आती है।’ उन्होंने कहा, ‘श्रीराम सेतु के प्रमाण पर उंगली उठाने वालों ने ही बाबरी समर्थकों को आगे कर श्रीरामजन्मभूमि को विवादित बनाया। उस स्थान का पुरातात्विक साक्ष्य भी प्राप्त हुए, उसके बाद भी बाबरी समर्थक श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण में बाधक बने हुए हैं।’
महंत कमलनयन दास ने कहा, ‘श्रीराम हमारी आस्था श्रद्धा और सामाजिक जीवन चरित्र के केन्द्र हैं। ‘राम’ शब्द दिखने में जितना सुंदर है, उससे कहीं महत्वपूर्ण है इसका उच्चारण। ऐसे प्रभु पर उंगली उठाने वालों को राम के देश में रहने का अधिकार नहीं है।’ वीएचपी के अखिल भारतीय सलाहकार समिति के सदस्य पुरूषोत्तम नारायण सिंह ने कहा कि जो हमारे धर्म ग्रंथ और धार्मिक मान्यताओं ने सदैव कहा, आज उस श्रीराम सेतु के होने पर दोबारा अमेरिकन वैज्ञानिकों ने अपनी मोहर लगा दी है। अब श्रीराम सेतु तोड़ने वाली कांग्रेस सहित तथाकथित सेक्युलर दल और बाबरी समर्थकों को भी मान लेना चाहिए कि श्रीरामलला की जन्मभूमि अयोध्या है,और अपने झूठे दावे से स्वतः हट जाना चाहिए।’