अयोध्या
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सुलह का फॉर्म्युला देने वाले मौलाना सलमान नदवी ने खुद को अयोध्या विवाद से अलग कर लिया है। उधर, कोर्ट से बाहर सुलह की कोशिश में जुटे आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने फिर दावा किया है कि राम मंदिर मसला जल्द सुलझा लिया जाएगा। शुक्रवार को नदवी के इस मामले से अलग होने की घोषणा के बाद श्री श्री रविशंकर ने भी एक ट्वीट किया। इस ट्वीट के जरिए आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि किसी भी महत्वपूर्ण काम को लेकर जब चलते हैं तो कुछ लोग जुड़ते हैं, कुछ लोग अलग होते हैं। यह प्रक्रिया है लेकिन लक्ष्य और उद्देश्य सही है तो हमें बढ़ते रहना चाहिए। बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से निष्कासित किए जा चुके मौलाना सलमान नदवी ने कहा है कि अब वह अयोध्या मामले में अदालत के फैसले का इंतजार करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि वह तभी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में लौटेंगे, जब असदुद्दीन ओवैसी और कमल फारूकी सहित चार लोगों को बोर्ड से बाहर नहीं निकाल दिया जाता। नदवी का इस मामले से बाहर होना इसलिए भी अहम है कि क्योंकि AIMPLB से निष्कासित होने के बावजूद वह अदालत से बाहर अयोध्या विवाद सुलझाने में जुटे हुए थे। यही नहीं गुरुवार को ही आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने उनसे लखनऊ में मुलाकात की थी। इस मीटिंग के बाद श्री श्री ने कहा था कि उन्हें मुसलमानों का समर्थन है और जल्द ही अयोध्या विवाद सुलझा लिया जाएगा। शुक्रवार को नदवी के अलग होने की घोषणा के बाद ट्वीट करते हुए श्री श्री रविशंकर ने लिखा, ‘किसी भी महत्वपूर्ण काम को लेकर जब चलते हैं तो कुछ लोग जुड़ते हैं, कुछ लोग अलग होते हैं। कुछ लोग विरोध करते हैं और बहुत लोग देखते रह जाते हैं। यह सब प्रक्रिया है, जब लक्ष्य और उद्देश्य सही है तो हमें चलते रहना है।’
गौरतलब है कि श्री श्री रविशंकर लगातार इस मामले को कोर्ट के बाहर सुलझाने में जुटे हैं। इसके लिए उन्होंने हाल ही में उन्होंने प्रदेश सरकार में संस्कृति, धर्मार्थ कार्य, अल्पसंख्यक एवं वक्फ मामलों के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के साथ भी मुलाकात की। इस दौरान उनकी मंत्रणा सभी पक्षों की सहमति, सौहार्द बनाए रखने और मंदिर निर्माण की बाधाएं दूर करने पर केंद्रित रही।
नदवी के दिए फॉर्म्युले
मौलाना नदवी ने अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए तीन प्रस्ताव रखे थे। पहले प्रस्ताव में उन्होंने कहा था कि निर्मोही अखाड़े के कब्जे वाली 10 एकड़ की विवादित जमीन मुसलमानों को दे दी जाए और उसके बदले में हिंदुओं को विवादित जमीन दे दी जाए। उनका दूसरा प्रस्ताव था कि गोरखपुर हाइवे पर बहादुर शाह जफर के नाम से एक इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी बनाई जाए और उसी के कैंपस में मस्जिद को जगह दी जाए। तीसरे और अंतिम प्रस्ताव में उन्होंने कहा था कि विवादित जमीन के पास जहां लकड़ी काटने की यूनिट लगी है, वहां पर मस्जिद बनाई जाए।