मुंबई
गत विधानसभा और लोकसभा के उपचुनावों में बुरी तरह से मात खा चुकी बीजेपी को त्रिपुरा में पहली बार इतनी बड़ी जीत मिली है। बीजेपी की इस जीत के पीछे मुंबई में जन्मे सुनील देवधर व उनकी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। बीजेपी की त्रिपुरा टीम में मुंबई के ही शिवानंद नाडकर्णी, श्रवण झा व उनकी पत्नी पराग नेरूरकर, अजित माली, मुकेश झा, संतलाल यादव, विनय पांडेय, सुकेश झा, ब्रम्हदेव आतकरी व दिल्ली के कपिल शर्मा की भूमिका अहम माना जा रही है। इनके जमीनी प्रयासों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के शीलभूषण शर्मा, केरल से प्रमोदन और अनिलन की सहायता मिली और 25 सालों से एकछत्र राज कर रही लेफ्ट की माणिक सरकार सत्ता से उखाड़ फेंकी गई।
स्थानीय मुद्दों को उठाया
जीत की रणनीति में इस टीम ने स्थानीय मुद्दों को जोर-शोर से उठाया। बड़ी मेहनत से सभी 60 सीटों पर बूथ कमिटी बनाई। करीब 30 हजार युवाओं को चुनाव प्रचार में लगाया। खास बात यह कि लोगों से समस्याओं को चुनावी भाषणों में स्थान दिया। राजनीतिक जमीन पुख्ता करने के लिए चुनावों से ठीक पहले दूसरे दलों के कई नेताओं और विधायकों को बीजेपी में शामिल कराया। इसके अलावा, स्थानीय बोली-भाषा को बढ़ावा दिया और बहादुरी के साथ ड्रग्स के धंधे को बेनकाब किया। विकास और रोजगार देने का वादा किया, जबकि यहां के लोग 70 प्रतिशत खेती पर निर्भर है।
सुनील देवधर ने तोड़ा चक्रव्यूह
त्रिपुरा में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत का फूल खिलाने वाले देवधर ने अपनी पार्टी और कार्यकर्ताओं के लिए संजीवनी का काम किया और लगभग 3 सालों में ग्राउंड वर्क कर माणिक सरकार के चक्रव्यूह को तोड़ कर रख दिया। महाराष्ट्र में जन्मे देवधर हैं, तो मराठी लेकिन फर्राटेदार बंगाली के साथ-साथ कई और भाषाओं पर भी अपनी पकड़ रखते हैं। मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड में खासी और गारो जैसी जनजाति के लोगों से मिलते हैं, तो उनसे उन्हीं की भाषा में बात करते हैं। देवधर 12 सालों तक संघ के लिए प्रचारक भी भूमिका भी निभा चुके हैं। देवधर ने साल 2005 में ‘माई होम इंडिया’ नाम से एक एनजीओ की स्थापना की। जनता के सामने रखी खामियां
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