मुंबई
बारिश का मौसम नजदीक है लेकिन मुंबई की सड़कों पर कई सारे मैनहोल खुले हुए हैं। ये मैनहोल लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। अब कांदिवली इलाके के लोगों ने इन मैनहोल्स पर आर्ट वर्क करके इनको दैत्याकार रूप में दिखाने का अभियान शुरू किया है।बृहन्मुंबई नगरपालिका (एमएनसी) के अधिकारियों ने इस अभियान के बारे में अनभिज्ञता जताई। हालांकि, इस तरह से पेंट करके सजाए गए 12 मैनहोल्स में से छह पर अब ढक्कन रखे जा चुके हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, पिछले साल 29 अगस्त को आई बाढ़ में जाने-माने डॉक्टर दीपक अमरूपुरकर की मौत ऐसे ही एक ढक्कन के खुले होने के कारण नाले में गिर जाने से हुई थी। ठाकुर गांव के अध्यक्ष हर्षा उडुपी कहना है, ‘हम लोगों ने आपस में तय किया कि हम अपने बच्चों के स्कूलों के पास, रेस्टॉन्ट्स, बैंक और पार्क के पास खुले हुए मैनहोल्स ढूंढेंगे। हमने इसके बारे में कुछ करने के लिए भी सोच रखा था।’ बता दें कि हर्षा सोच सयानी सिटिजन ग्रुप के अध्यक्ष हैं, इसी ग्रुप ने इलाके में प्लास्टिक बैन के लिए भी अभियान चलाया था, जिसके बाद सरकार ने भी इसपर विचार किया था।
नकली मगरमच्छ तक लगाए गए
पिछले कुछ हफ्तों से स्थानीय लोग मैनहोल्स के पास इकट्ठा रहते हैं और इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनमें कोई गिर ना जाए। इस तरह की पहल पिछले साल बेंगलुरु में भी हुई थी, जहां नकली मगरमच्छ तक लगाए गए थे। हर्षा आगे कहते हैं, ‘हमने 10 सड़कों का सर्वे किया और हमें 20 खुले मैनहोल्स मिले। एक मैनहोल को पेंट करने में लगभग 1000 रुपये का खर्च आया लेकिन प्रशासन का ध्यान खींचने के लिए हम यह खर्च भी सहन करने को तैयार हैं।’
एक मैनहोल पर ऑक्टोपस बनाने वाली रूपा बसु कहती हैं, ‘मेरी कोशिश यही थी कि बताया जाए कि जिस तरह आप ऑक्टोपस के कब्जे में आने के बाद बच नहीं सकते, वैसे ही इन गड्ढों में गिरने के बाद भी नहीं बच सकते।’ कहा जा रहा है कि इन जगहों पर पेंटिग्स बनाने के बाद एक-एक करके ढक्कन रखने शुरू हो गए हैं।
BMC को अभियान के बारे में पता ही नहीं
असिस्टेंट म्युनिसिपल कमिश्नर संजय कुरहाडे ने कहा, ‘बीएमसी अपने शेड्यूल के मुताबिक, इन मैनहोल्स की मरम्मत करती है। मुझे स्थानीय लोगों द्वारा चलाए जा रहे इस तरह के किसी भी अभियान के बारे में जानकारी नहीं है।’