नई दिल्ली: दिल्ली सरकार और एलजी के बीच चल रही अधिकारों की जंग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली में टकराव खत्म होने के आसार कम लग रहे हैं. दिल्ली के सर्विसेज़ विभाग के अफसरों ने पुराने हिसाब के मुताबिक काम करने का फैसला किया है जिसमें ये विभाग एलजी के पास था. इससे दिल्ली में प्रशासनिक संकट पैदा हो सकता है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने आदेश में साफ कर दिया था कि सिर्फ 3 चीजे जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था केंद्र के अधीन है. इसका साफ मतलब है कि बाकि विभागों पर उनका कोई अधिकार नहीं और दिल्ली सरकार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सर्विसेज स्वत दिल्ली सरकार के अधीन आ गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन 3 विभागों को साफ बता दिया है, जो केंद्र के अधीन हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उपराज्यपाल सर्विसेज से जुड़ी ट्रांसफर-पोस्टिंग की फाइल पर साइन नहीं कर सकते. अगर ऐसा करते हैं तो वो अदालत की अवमानना होगी और ऐसी सूरत में अदालत की अवमानना का केस दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगी. अगर LG साइन नहीं करते और दिल्ली सरकार के आदेश को भी सर्विसेस विभाग नहीं मानता, तो क्या दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग रुक जाएगी. ऐसे में प्रशासनिक संकट खड़ा हो सकता है.
सर्विसेज़ विभाग के अफसरों का मानना है कि बुधवार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में आई अधिसूचना के बारे में कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया है, जिसमें अफसरों की नियुक्ति और ट्रांसफर का हक एलजी को दिया गया था. गौरतलब है कि इस मामले पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की रेग्युलर बेंच करेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार शाम दिल्ली सरकार ने अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादले और पोस्टिंग के लिए फ़ैसले लेने का अधिकार मंत्रियों को दे दिए. आईएएस/दानिक्स अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार सीएम के पास रहा, जबकि ग्रेड 2 के अफसरों का डिप्टी सीएम के पास बाक़ी अफ़सरों और कर्मचारियों का फैसला संबंधित विभाग के मंत्री करेंगे.
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ये तय हो गया कि दिल्ली में एलजी की मनमानी नहीं चलेगी. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फ़ैसला दिया है कि कैबिनेट को फ़ैसले लेने का अधिकार है और इसमें एलजी की सहमति ज़रूरी नहीं है, लेकिन एलजी को फ़ैसलों की जानकारी देनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार अहम है. एलजी और कैबिनेट में छोटे-छोटे मामलों पर मतभेद न हो. अगर राय में अंतर हो तो एलजी मामला राष्ट्रपति के पास भेजें.