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गढ़वाल केंद्रीय विवि के 22 प्रोफेसरों पर CBI का शिकंजा

देहरादून। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति समेत 22 से ज्यादा प्रोफेसरों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

सीबीआइ ने विश्वविद्यालय से संबद्ध देहरादून के निजी शिक्षण संस्थानों को मनमाफिक कोर्स की मान्यता और सीटें बढ़ाने की स्वीकृति में गड़बड़ी पर इन सभी को नोटिस जारी कर दिए हैं। 21 अगस्त से सात सितंबर के बीच सीबीआइ के देहरादून स्थित दफ्तर में पूछताछ की जाएगी।

एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय ने 2013 से 2017 के बीच देहरादून समेत अन्य जिलों में निजी संस्थानों में नए कोर्सों के साथ सीटें बढ़ाने की स्वीकृति दी। इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर गठित प्रोफेसरों की कमेटी ने संबंधित संस्थानों का दौरा भी किया।

सीबीआइ को इस मामले में बड़ी साठगांठ की सूचनाएं मिली थीं। इसी आधार पर सीबीआइ विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों को दी गई नए कोर्सों की मान्यता और सीटों को बढ़ाने के मामले की शुरुआती जांच कर रही है।

सीबीआइ ने उन सभी को नोटिस जारी किए हैं, जिन्होंने नए पाठ्यक्रमों को मान्यता देने में भूमिका निभाई थी। इसमें पूर्व कुलपति जेएल कौल, कुलसचिव एके झा, उप कुलसचिव संजय ध्यानी, एके मोहंती तथा मायाराम नौटियाल भी शामिल हैं।

इस नोटिस में प्रोफेसरों और विश्वविद्यालय के अफसरों से बयान दर्ज कराने को कहा गया है। सीबीआइ के जांच अधिकारियों ने नोटिस जारी करने की पुष्टि की है।

जबकि इससे पहले सीबीआइ विश्वविद्यालय से पुराना रिकॉर्ड भी जब्त कर चुकी है।

एल्पाइन इंस्टीट्यूट, डॉल्फिन इंस्टीट्यूट, उत्तरांचल कॉलेज, दून पीजी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, दून वैली कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बाबा फरीद इंस्टीट्यूट आदि को नए कोर्स और सीटें बढ़ाने में खेल किए जाने का आरोप है।

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