मुंबई
आग जैसे हादसे अपने पीछे कई कहानियां छोड़ जाते हैं। एक डर और कुछ सबक भी दे जाते हैं। बुधवार को मुंबई में परेल की क्रिस्टल बिल्डिंग में लगी आग के बाद से वहां के लोग खौफ में हैं। इस हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 23 लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। जिन्होंने इस हादसे को करीब से देखा और जिया है, उन्होंने अपनी आपबीती बताई। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल
आग की खबर सुनते ही आसपास अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जैसे ही आग की लपटें बढ़ीं, लोगों की चिंता भी बढ़ती गई। धीरे-धीरे शवों का निकलना शुरू हो गया। लोग अपनों की सलामती के लिए केईएम अस्पताल की तरफ भागने लगे। केईएम अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, 27 लोगों को अस्पताल लाया गया था। 4 की मौत अस्पताल आने से पहले ही हो चुकी थी।
करीब 21 लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा था। दो लोगों को ओपीडी आधारित उपचार देकर छुट्टी दे दी गई थी। अस्पताल के डीन डॉ. अविनाश सुपे ने बताया कि आग के कारण प्रभावित होने वालों में अक्सर लोगों को धुएं के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। वहीं, बचने के लिए इधर-भागने के कारण कुछ लोगों को शरीर में चोटें आई हैं। कुछ झुलस गए हैं। फिलहाल, सभी मरीजों की स्थिति सामान्य है।
फायरकर्मी बने रक्षक
चारों तरफ आग की लपटों और धुएं के बीच लोगों को सुरक्षित निकालना चुनौतीपूर्ण था। फायरकर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद लोगों को बचा लिया, लेकिन हादसे में 4 फायरकर्मी भी झुलस गए। 9वी मंजिल पर रहने वाली 45 वर्षीय डॉली हादसे को याद कर सहम जाती हैं। डॉली बताती हैं, ‘परिवार नाश्ता भी नहीं कर पाया था कि आग की खबर बिल्डिंग में फैल गई। आनन-फानन में घर का दरवाजा खोल नीचे भागने लगे, तब तक घर धुएं से भर चुका था। पूरा परिवार सीढ़ियों से निकल गया, लेकिन मैं बिल्डिंग में फंस गई। तभी फायरकर्मी राजू नरवडे ने मुझे बचा लिया।’ बता दें कि 22 साल के राजू ने 4 लोगों को सुरक्षित निकाला।
बकरीद ने बचाई बच्चों की जान
बुधवार की सुबह लोग बकरीद की तैयारी में लगे थे। छुट्टी का दिन होने से ज्यादातर लोग नींद में ही थे कि अचानक चारों तरफ धुआं फैलने लगा। हर्षोल्लास का त्योहार बकरीद गम में बदल गया। ज्यादातर लोग इमारत में फंस गए, वहीं बकरीद के चलते 12वीं मंजिल पर रहने वाला शेख परिवार बाल-बाल बच गया। हालांकि पड़ोसी को बचाने गए परिवार के मुखिया माशूक शेख आग की लपटों से झुलस गए।
महिला को तो बचा लिया, लेकिन…
माशूक की बहन आयशा ने बताया कि माशूक 4 बच्चों और पत्नी के साथ क्रिस्टल बिल्डिंग में रहते हैं। हादसे के वक्त परिवार के लोग बिल्डिंग में नहीं थे। बच्चे पास में ही स्थित दादा के घर गए थे। आग से कुछ समय पहले ही बच्चे घर से निकले थे, जबकि माशूक की पत्नी हज पर गई हैं। आयशा ने बताया कि घटना के वक्त माशूक भी घर से बाहर थे। आग का पता चलते ही वह बिल्डिंग में पहुंच गए और लोगों को बचाने अंदर चले गए। इस दौरान उन्होंने एक महिला बर्था को बचाया लिया, लेकिन खुद झुलस गए। उनका उपचार केईएम में चल रहा है, जहां उनकी स्थिति नाजुक बताई जा रही है।
दांत से हुई पहचान
बुरी तरह शरीर जलने के कारण कई घंटों तक 2 शवों की पहचान नहीं हो सकी थी। बबलू और सुबधा के शवों को तो पहचान लिया गया था, लेकिन लगभग 100 प्रतिशत जल चुके अशोक और संजीव नायर के शव देर में पहचाने जा सके। संजीव के शव की पहचान के लिए अस्पताल की फरेंसिक अडंटॉलजिस्ट डॉ. हेमलता पांडेय की मदद लेनी पड़ी। डॉ. हेमलता पांडेय ने बताया कि संजीव की एक दांत में चांदी भरी गई थी और मृतक के चेहरे के अनुसार दांतों की बनावट को देखते हुए उसकी पहचान की जा सकी।