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आपस में भिड़े दो टॉप अफसर, भ्रष्टाचार के मामले में CBI की किरकिरी

सवालों के घेरे में रहे सीबीआई के दो टॉप अफसर आपस में सिरफुटौव्वल कर रहे हैं. सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और नंबर दो राकेश अस्थाना की लड़ाई खुलकर सामने आ गई हैं. दोनों एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोपों का कीचड़ उछाल रहे हैं और किरकिरी सीबीआई की हो रही है.
देश की सबसे बडी जांच एजेंसी की थू-थू हो रही हैं. भ्रष्टाचार के आरोपों की दलदल में सीबीआई की साख डूब रही है. दो सबसे बड़े अफसरों के बीच शर्मनाक सिर फुटौव्वल हो रही है. सीबीआई ही सीबीआई दफ्तर में छापे मार रही है.
आलोक वर्मा सीबीआई के डायरेक्टर हैं तो राकेश अस्थाना स्पेशल डायरेक्टर. दोनों टॉप अफसरों के बीच घमासान जारी है. दोनों एक-दूसरे की वर्दी उतरवाने में लगे हैं. पहली बार सोमवार को सीबीआई ने अपने ही दफ्तर में एक अफसर के चैंबर में छापा मारा. उसे गिरफ्तार भी किया. ये अफसर हैं सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार.
देवेंद्र के घर और दफ्तर पर छापा मारकर सीबीआई ने आठ मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं. आज दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में उनकी पेशी होगी. लेकिन देवेंद्र कुमार इस खेल की महज एक कड़ी हैं. असली निशाने पर तो सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना हैं.
1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले में जांच के घेरे में चल रहे हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना की शिकायत पर दर्ज हुई है.
कारोबारी सना का आरोप है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए उसने अस्थाना को 3 करोड़ रुपये घूस दिए. एफआईआर में अस्थाना के अलावा सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार, इन्वेस्टर बैंकर मनोज प्रसाद और उसके भाई सोमेश प्रसाद के नाम भी शामिल है.
सना के मुताबिक इन्वेस्टर बैंकर मनोज के जरिये उसने अस्थाना तक पैसे पहुंचाए. आरोप है कि मनोज ने सीबीआई अफसर को देने के लिए पांच करोड़ मांगे थे. 15 अक्टूबर को राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई.
इसके तीन दिन बाद अस्थाना ने कैबिनेट सचिव और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को चिट्ठी लिखकर आशंका जाहिर की कि सीबाआई के मुखिया आलोक वर्मा उन्हें फर्जी मामले में फंसाना चाहते हैं. इससे पहले अस्थाना वर्मा पर दो करोड़ रिश्वत लेने का आरोप जड़ चुके हैं.
आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के झगड़े से देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी की किरकिरी हो रही है. सवाल उठ रहा है कि जिस एजेंसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हों वो साफ-सूथरी जांच कैसे करेगी.

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