मुंबई : एयर इंडिया ने नार्थ अमेरिका पहुंचने के लिए नया रूट अपनाने का निर्णय लिया है। कम समय में अमेरिका पहुंचने के लिए एयर इंडिया ने विश्व के सबसे दुर्गम क्षेत्र नॉर्थ पोल (पोलर रूट) का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया है। नॉर्थ पोल ऐसा स्थान है, जहां कंपास भी काम नहीं करता है और ठंड की वजह से ईंधन के जम जाने का भी खतरा बना रहता है। प्रशिक्षित पायलट और तकनीक की सहायता से एयर इंडिया 15 अगस्त से दिल्ली से सान फ्रांसिस्को के बीच नॉन स्टॉप सीधी उड़ान शुरू करने जा रही है। मौजूदा समय में एयर इंडिया की फ्लाइट अमेरिका पहुंचने के लिए अटलांटिक और प्रशांत महासागर रूट को अपनाती है। पोलर रूट पर सफल उड़ान भर कर एयर इंडिया विश्व की पहली हवाई कंपनी बन जाएगी, जो तीन रूट के जरिए अमेरिका पहुंच सकती है।
पोलर रूट से गुजरने वाले विमान के पायलट कैप्टन दिग्विजय सिंह के अनुसार, अत्याधिक गुरुत्वाकर्षण होने की वजह से दिशा की सही जानकारी देने वाले कंपास भी काम करना बंद कर देता है। ऐसे वक्त में विमान में लगे अत्याधुनिक तकनीक और जीपीएस की सहायता से पायलट को विमान में लगी स्क्रीन पर डिजिटल डाटा उपलब्ध होता है, जिसकी मदद से पायलट सही मार्ग का चयन करता है।
नॉर्थ पोल में तापमान हर समय करीब माइनस 30 के करीब रहता है। तापमान माइनस 65 के करीब पहुंचने पर विमान का ईंधन भी जम सकता है। इस वजह से उड़ान के दौरान ऊंचाई का भी विशेष खयाल रखना होता है। दिग्विजय सिंह के अनुसार, उड़ान के दौरान ग्राउंड सपोर्ट नहीं मिलने से पहले इस मार्ग का चयन नहीं किया गया है। मार्ग में कुछ नए एयरपोर्ट बनने और ग्राउंड सपोर्ट मिलने की वजह से सेवा शुरू करने का फैसला लिया गया है।
नॉर्थ पोल में हवा कम होने और मौसम की जटिल परिस्थिति की वजह से विमान करीब 90 डिग्री पर उड़ान भरेगा, जबकि आम तौर पर विमान करीब 78 डिग्री पर उड़ान भरते हैं। मौजूदा समय में विमान बांग्लादेश, म्यांमार, चीन और जापान से होते हुए प्रशांत महासागर के ऊपर से उड़ते हुए अमेरिका जाते हैं। नया रूट किर्गिस्तान, कजाखिस्तान, रूस, आर्कटिक सागर, कनाडा और फिर अमेरिका जाएगा। नए रूट पर नॉन-स्टॉप फ्लाइट यात्रियों का करीब 90 मिनट समय बचाएगी। अभी अमेरिका पहुंचने में करीब 17 घंटे का समय लगता है।