मुंबई : जोगेश्वरी स्थित बालासाहेब ठाकरे ट्रॉमा सेंटर में पिछले 7 महीने से मोतियाबिंद के ऑपरेशन बंद हैं। अस्पताल आने वाले मरीजों को बीएमसी के दूसरे अस्पतालों में भेजा जा रहा है। प्रशासन से जुड़े लोगों के अनुसार, सर्जरी शुरू करने में और भी वक्त लग सकता है। बता दें कि जनवरी में यहां हुई मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद 7 मरीजों की आंखों को नुकसान हुआ था, जिसके बाद बीएमसी ने यहां मोतियाबिंद की सर्जरी पर रोक लगा दी थी। सुरेश कुमार (बदला हुआ नाम) जोगेश्वरी रहते हैं कि आंख में जलन और दर्द होने के बाद, जब वह ट्रॉमा सेंटर गए, तो उन्हें कूपर अस्पताल भेज दिया गया। सुरेश ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने उनसे कहा कि फिलहाल यहां सुविधा बंद है, इसलिए आप बीएमसी के दूसरे अस्पताल चले जाएं। सूत्रों के अनुसार, रोजाना 10-12 लोग ट्रॉमा सेंटर आते हैं, जिन्हें दूसरे अस्पतालों में भेजा जाता है। कूपर और ट्रॉमा सेंटर के डीन डॉ. पिनाकिन गुज्जर ने कहा कि जनवरी में हुए हादसे की जांच अब भी जारी है। हादसा बड़ा था, इसलिए जांच पूरी होने, और भविष्य में वहां ऐसी कोई समस्या न हो यह सुनिश्चित होने तक सर्जरी शुरू करने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। डॉ. पिनाकिन ने बताया कि उन्होंने खुद अस्पताल का दौरा किया है और इस बारे में लगातार संबंधित लोगों के संपर्क में हैं।
अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी शुरू होने को लेकर जब एनबीटी ने बीएमसी स्वास्थ्य विभाग की अडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर डॉ. अश्वनी जोशी से बात की, तो उनका कहना था कि ट्रॉमा सेंटर में मोतियाबिंद की सर्जरी क्यों होगी? ट्रॉमा सेंटर स्पेशलाइज्ड इलाज के लिए होता है। डॉ. पिनाकिन का दावा है कि मरीजों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होती है। आंख की समस्या से परेशान जो मरीज अस्पताल ट्रॉमा सेंटर की ओपीडी में आते हैं, उन्हें आगे के इलाज के लिए कूपर भेज दिया जाता है। यह पूछे जाने पर कि अस्पताल में फिर से मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब से शुरू हो सकता है, डॉ. पिनाकिन ने कहा कि यह बताना अभी संभव नहीं है।
इसी साल जनवरी में अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद 7 मरीजों की आंखें प्रभावित हुई थीं। इनमें से तीन की तो लगभग पूरी तरह आंख की रोशनी चली गई थी। जब मामले की जांच हुई, तो पता चला कि सर्जरी के बाद संक्रमण फैलने के कारण मरीजों की आंखें प्रभावित हुई थीं।