नई दिल्ली
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस केस की रोजाना सुनवाई की मांग रखी गई। मामले से जुड़े एक पक्ष ने इस केस को ‘बेहद महत्वपूर्ण’ बताते हुए कहा कि इस पर डे टु डे सुनवाई होनी चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार न करते हुए मामले की सुनवाई को 14 मार्च तक टाल दिया। मामले की रोजाना सुनवाई की मांग करने वाले वकील से अदालत ने कहा कि सैंकड़ों ऐसे केस लंबित हैं, जिसकी अदालत को चिंता हैं। कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख पर जब मामला सुनवाई के लिए आएगा, तब इस मांग पर पर गौर किया जाएगा। कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश सीनियर वकील राजीव धवन ने मामले की सुनवाई रोजाना किए जाने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि यह मामला बेहद महत्वपूर्ण है, लिहाजा मामले की रोजाना सुनवाई की जानी चाहिए। इस दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यह मामला महत्वपूर्ण है और हमें इसकी चिंता है, लेकिन कोर्ट में सुनवाई के लिए 700 ऐसे केस हैं जिनमें न्याय के लिए लोग गुहार लगा रहे हैं, हमें उनकी भी चिंता है। लोग न्याय के लिए परेशान हैं।’इस पर राजीव धवन ने कहा कि राम मंदिर मामला बेहद महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा, ‘हमने कभी नहीं कहा था कि डे टू डे सुनवाई करेंगे, आपने गलत समझा।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 700 केस ऐसे हैं जिनमें रोजाना डेढ़ से दो घंटे सुनवाई हो तब निपटारा हो पाएगा। हमें मौजूदा अयोध्या मामले की भी चिंता है, जब मामला सुनवाई के लिए 14 मार्च को आएगा तब रोजाना सुनवाई के बारे में देखा जाएगा।’ गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि अयोध्या मामले की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद की जानी चाहिए। उस दौरान सीनियर वकील राजीव धवन, सिब्बल समेत अन्य ने मामले की सुनवाई न टाले जाने के कारण अदालत से बाहर जाने तक की बात कह दी थी। गुरुवार को सिब्बल अदालत में पेश नहीं हुए थे, लेकिन एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश राजीव धवन ने मामले की रोजाना सुनवाई किए जाने की दलील पेश की।