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पीड़िता से जन्मे बच्चे का DNA टेस्ट मैच न होने पर बलात्कार के आरोपी को मिली जमानत

मुंबई
मुंबई के भिवंडी क्षेत्र के निवासी एक बलात्कार आरोपी को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता से जन्मे बच्चे का डीएनए टेस्ट आरोपी से मैच न होने के आधार पर यह फैसला लिया। बता दें कि आरोपी को 16 साल की पड़ोसी का बलात्कार करने पर 2016 में गिरफ्तार किया गया था।
हाई कोर्ट की जज रेवती देरे ने आरोपी विकास माली को 15 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर रिहा करने का फैसला सुनाया। विकास के खिलाफ नाबालिग से बलात्कार पर आईपीसी की धारा 376 और पोस्को ऐक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। दोष सिद्ध होने पर उसे कम से कम सात साल की सजा और अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती थी।

जज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘सितंबर 2017 में फरेंसिक साइंस लैब से मिली डीएनए रिपोर्ट में सामने आया है कि आरोपी, पीड़िता से पैदा हुए बच्चे का जैविक पिता नहीं है। वह करीब दो साल तक हिरासत में रहा। मामले की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट भी फाइल हो चुकी है।’ उन्होंने आगे कहा कि केस के विशेष तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए।
विकास को मार्च 2016 में नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोप के चलते गिरफ्तार किया गया था। अपनी शिकायत में उसने दावा किया था कि आरोपी उसके प्रति अपना प्यार जाहिर करते हुए उसे अपने घर ले गया और यौन संबंध बनाए। पीड़िता ने कहा था कि आरोपी ने उससे शादी का वादा कर दोबारा संबंध बनाए थे जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी। जून 2016 में उसने बच्चे को जन्म दिया था।

दूसरी ओर विकास ने अपने बचाव में दावा किया था कि उसे मामले में झूठा फंसाया जा रहा है। इसके पहले ठाणे सेशन कोर्ट में दो बार उसकी जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है। उस वक्त कोर्ट में डीएनए रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी।

तब ट्रायल कोर्ट ने मामले में कहा था कि घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी। आरोपी और उसके बीच शारीरिक संबंध होने के बाद उसने बच्चे को जन्म दिया। मामला गंभीर है, इस वजह से आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।

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