मुंबई
रिश्वत लेने वाले एक इंजिनियर को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए सेशन कोर्ट ने उसे ऐसी सजा सुनाई कि हर रिश्वत की मांग करने वाला कम से कम दो बार सोचेगा। कोर्ट ने रिश्वत लेते हुए पकड़े गए इंजिनियर पर 85 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए उसे 10 साल की जेल की सजा सुनाई है। अगर वह जुर्माना नहीं भर पाता है तो उसे चार साल और जेल में बिताने होंगे।
एक सीनियर आईपीएस ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक ऐक्ट के तहत किसी विशेष अदालत द्वारा लगाया गया यह अब तक का सबसे ज्यादा जुर्माना है। उन्होंने बताया, ‘पीसीए (प्रिविंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट) के तहत अधिकतम और न्यूनतम कारावास की सजा तो तय की गई है, लेकिन कितना जुर्माना लग सकता है, इसकी कोई तय सीमा नहीं है। यह न्यायाधीश के विवेक पर निर्भर करता है।’
रंगे हाथ घूस लेते पकड़ा
श्रीरामपुर पंचायत समिति से जुड़े अशोक केशवराव मुंडे को एक कॉन्ट्रैक्टर से 1.5 लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था। मुंडे ने एक चेक रिलीज करने के लिए बिल अमाउंट का का पांच प्रतिशत हिस्सा मांगा था। यह तय हुआ था कि रिश्वत की इस रकम का लेन-देन अहमदनगर जिला परिषद के गेस्ट हाउस में होगा, जहां मुंडे को रंगे हाथ पकड़ लिया गया।
जांच पूरी करने के बाद इस मामले में दो सितंबर 2016 को चार्जशीट फाइल की गई थी। शुक्रवार को इस पर फैसला सुनाते हुए अहमदनगर सेशन कोर्ट के जज एसयू बघेले ने मुंडे को पीसीए के सेक्शन 13 के तहत 10 साल के सश्रम कारावास और 50 साल की सजा सुनाई। सेक्शन 7 के तहत मुंडे को सात साल की सश्रम कारावास और 35 लाख रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई।
बता दें, यह दोनों सजाएं एकसाथ चलेंगी। इस तरह कुल 10 साल की जेल और 85 लाख का जुर्माना इंजिनियर को भरना होगा।