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निर्माण पर रोक के बाद होश में आई ‘सरकार’

मुंबई
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महानगर में निर्माण कार्य पर बैन लगाने के बाद शनिवार को महाराष्ट्र सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बारे में राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय को विस्तार से जानकारी देगी, ताकि निर्माण कार्य पर लगी पाबंदी हटाई जा सके। सरकार अब कह रही है कि कचरे के निष्पादन के लिए एक ठोस नीति तैयार की है, लेकिन तकनीकी कारणों से वे सर्वोच्च न्यायालय में उसे पेश नहीं कर सके। गौरतलब है कि शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और चंडीगढ़ सहित कई राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में ठोस कचरा प्रबंधन नीति तैयार नहीं करने पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए आदेश दिया कि जब तक कचरे के निष्पादन की ठोस नीति ये राज्य नहीं बताते, तब तक संबंधित राज्यों में निर्माण कार्य पर रोक लगेगी।

निर्माण कार्य पर बैन लगने से महानगरपालिकाओं समेत राज्य सरकार की तिजोरी में आने वाले हजारों करोड़ रुपये भी नहीं आएंगे। यहां बता दें कि हर महीने बीएमसी समेत तमाम महानगरपालिकों के पास निर्माण मंजूरियों से सैकड़ों करोड़ रुपये आते हैं। वहीं, बिल्डर भी सरकार के इस फैसले से चिंता में घिर गए हैं। पूरा होने की कगार पर पहुंच चुके प्रॉजेक्ट से जुड़ी अनुमति अटकने से अकाउंट बुक गड़बड़ाने का डर है।

रेरा में पजेशन तिथि बताने के बाद अब निर्माण पर रोक से बिल्डर कोर्ट के अगले आदेश पर टकटकी लगाए हुए हैं। नोटबंदी, रेरा और जीएसटी के बाद कंस्ट्रक्शन पर बैन सुस्त चल रहे रियल इस्टेट पर गहरा असर डाल सकता है। कोर्ट के फैसले के बाद जीडीपी, आर्थिक मंदी और रोजगार पर असर की दुहाई देते बिल्डर संगठन नजर आए।

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