मुंबई, 10 नंबर कम होने की वजह से फेल होने पर खुदकुशी करने वाली कॉलेज छात्रा रिद्धि परब के मामले में नया मोड़ आ गया है। उसकी कॉपी जब दोबारा जांची गई तो पता चला कि हकीकत में रिद्धि ने इस पेपर में 31 नंबर हासिल किए थे, जो कि पासिंग मार्क्स से 1 नंबर ज्यादा है। बता दें कि रिद्धि ने 10 अगस्त को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी।
पिता ने यूनिवर्सिटी के सामने इस मुद्दे को उठाते हुए 17 अक्टूबर को वाइस चांसलर सुहास पेडनेकर से मुलाकात की थी। पेशे से ऑटो ड्राइवर रिद्धि के पिता रमेश परब ने बताया, ‘मैंने मांग की कि जिन प्रफेसरों ने उसकी कॉपी चेक की, उन्हें इस बात का एहसास दिलाया जाना चाहिए कि उनकी गलती के कितने बुरे नतीजे हो सकते हैं।’
छठे सेमेस्टर के रिजल्ट के बाद सूइसाइड
रिद्धि, एमपी वालिया कॉलेज ऑफ कॉमर्स में बीएएफ (बैचलर ऑफ कॉमर्स इन अकाउंटिंग ऐंड फाइनैंस) थर्ड इयर की छात्रा थी। मुंबई यूनिवर्सिटी द्वारा छठे सेमेस्टर के रिजल्ट की घोषणा किए जाने के तीन दिन के बाद उसने अंधेरी स्थित अपने घर में सूइसाइड कर लिया था। रिद्धि फाइनैंशल मैनेजमेंट के पेपर में 20 नंबर पाने की वजह से फेल हो गई थी। 75 नंबर वाले थिअरी के इस पेपर में पास होने के लिए 30 नंबर लाने जरूरी थे।
‘हमेशा अच्छी स्टूडेंट रही थी रिद्धि’
रिद्धि के पिता रमेश ने मुंबई मिरर को बताया, ‘परीक्षा में नाकामी से उसे धक्का लगा। वह हमेशा एक अच्छी स्टूडेंट रही थी और किसी भी एग्जाम में उसे 80 प्रतिशत से कम नंबर नहीं मिलते थे। फाइनल इयर के एग्जाम के बाद वह पास होने को लेकर इतनी आश्वस्त थी कि उसने चार्टर्ड अकाउंटेंसी के कोर्स में पहले ही ऐडमिशन ले लिया था। यहां तक कि रिजल्ट घोषित होने के बाद उसने अपने फ्रेंड्स से कहा था कि वह रीइवैल्यूएशन (पुनर्मूल्यांकन) के लिए अप्लाई करने के बारे में सोच रही थी। हालांकि हम यह अंदाजा लगाने में नाकाम रहे कि उसके दिमाग में क्या चल रहा था। यही नहीं खुदकुशी करने वाले दिन भी वह परेशान नहीं नजर आ रही थी।’
बेटी की खुदकुशी के बाद पिता ने पेपर की दोबारा जांच कराने का फैसला लिया। उनका कहना है, ‘अपने दिमाग की शांति के लिए हमने उसकी मौत के 10 दिन बाद रीइवैल्यूएशन के लिए अप्लाई करने का फैसला लिया।’
20 के बजाए 31 नंबर मिले थे
परिवार को इस महीने की शुरुआत में रीइवैल्यूएशन का रिजल्ट पता चला, जिसमें रिद्धि को 20 के बजाए 31 नंबर मिले थे। इसके बाद परिजनों को एहसास हुआ कि रिद्धि ने ऐसी गलती की कीमत अदा की है, जो उसने की ही नहीं थी। रमेश का कहना है, ‘रिद्धि पास होती या फेल होती लेकिन वह कभी ऐसा कदम नहीं उठाती। इस गलती की जड़ में यूनिवर्सिटी है। अगर उन्होंने पेपर को सही तरीके से जांचा होता तो मेरी बेटी अभी जीवित होती। कुछ चीजों को बदलने की जरूरत है।’
शिक्षा मंत्री और वीसी ने साधी चुप्पी
रमेश ने कहा कि यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के दौरान छात्रों और पैरंट्स की नंबर को लेकर चिंताओं के बारे में सतर्क रहना चाहिए। रिद्धि के पिता ने कहा, ‘छात्र बहुत मेहनत से पढ़ाई करते हैं और उनके माता-पिता स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। मैं एक ऑटो ड्राइवर हूं। एक दिन में मैं 700 रुपये से ज्यादा नहीं कमा पाता हूं। मैंने अपनी बेटी को शिक्षा दिलाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की।’
हमारे सहयोगी मुंबई मिरर ने जब इस मामले में जानना चाहा कि क्या मुंबई यूनिवर्सिटी इवैल्यूएशन की प्रक्रिया को लेकर जांच कराएगी तो राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े और वाइस चांसलर पेडनेकर की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।
‘यह शायद पहला मामला होगा’
यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने मुंबई मिरर को बताया, ‘ऐसे बहुत से मामले हैं, जब फेल होने वाले स्टू़डेंट्स रीइवैल्यूएशन के दौरान पास हो जाते हैं। लेकिन यह शायद पहला मामला होगा जब किसी स्टूडेंट ने फेल होने पर खुदकुशी कर ली और बाद में पता चला कि वह पास है। रिद्धि ने बहुत कठोर कदम उठाया। वीसी ने परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं जताई हैं। फैकल्टी के टीचर ही आंसरशीट की जांच करते हैं। जो छात्र बहुत कम या बहुत ज्यादा अंक हासिल करते हैं, उनकी कॉपी मॉडरेटर द्वारा दोबारा चेक होती है। लेकिन सभी पेपर में ऐसा नहीं होता है। रीइवैल्यूएशन एक आगे की प्रक्रिया है, जो 2008-2009 में बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद शुरू हुई थी।’
इस बीच नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की छात्र इकाई के मुंबई अध्यक्ष अमोल मतेले ने शिक्षा मंत्री तावड़े से गुरुवार को मुलाकात की और रिद्धि के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग की।