मुंबई, पान के दाग को मिटाना आसान नहीं है, लेकिन रुईया महाविद्यालय के युवा शोधकर्ताओं ने इसे आसान कर दिया है। छात्रों ने जैविक संश्लेषण के आधार पर पर्यावरणपूरक तरीका खोज लिया है। महाविद्यालय की डॉ. मयूरी रेगे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खुद इसकी जानकारी दी। टीम का कहना है कि स्वच्छ भारत अभियान से उन्हें इस तरह के शोध के लिए प्रेरणा मिली।
पान के दाग है शहर के कलंक
अस्पताल, सरकारी कार्यालय, ऐतिहासिक स्थल, स्मारक और सार्वजनिक इमारतों में पान के दाग आसानी से दिख जाते हैं। मुंबई शहर में मध्य और पश्चिम रेलवे को अपने उपनगरीय रेलवे स्टेशनों की इमारतों और लोकल के डिब्बों में पान के दाग को साफ करने के लिए हर महीने करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। नई इजात से ये दाग छूट जाएंगे।
शोध परियोजना में ऐश्वर्या राजूरकर, अंजली वैद्य, कोमल परब, निष्ठा पांगे, मैथिली सावंत, मीताली पाटील, सानिका आंबरे और श्रृतिका सावंत शामिल थीं। मुख्यमंत्री ने इन बच्चियों से मुलाकात की। आठ छात्राओं की टीम का डॉ. अनुश्री लोकुर, डॉ. मयूरी रेगे, सचिन राजगोपालन और मुग्धा कुलकर्णी ने मार्गदर्शन किया था।
इन छात्राओं ने अमेरिका में जीता पदक
इन छात्रों ने अमेरिका के बॉस्टन स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एमआईटी) की तरफ से विश्व शोध प्रतियोगिता में मांटुगा स्थित रामनारायण रुईया महाविद्यालय ने गोल्ड मेडल जीता है। एमआईटी की तरफ से हर साल इंटरनैशनल जिनेटकली इंजिनियर्ड मशीन (आईजीईएम) नाम की विश्वव्यापी शोध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। विश्व के उच्च दर्जे के शोध को इस स्पर्धा में शामिल किया जाता है। इसमें विश्वभर में 300 से अधिक टीम शामिल हुई थीं।