मुंबई, मुंबई उच्च न्यायालय ने पोर्ट ट्रस्ट के एक कर्मचारी का वेतन 2016 से इस आधार पर रोकने के केंद्र के निर्णय पर सोमवार को सवाल उठाया कि उसने अपना बैंक खाता आधार से नहीं जोड़ा था। न्यायाधीश ए.एस. ओक और एस.के. शिंदे की एक खंडपीठ रमेश पुराले की ओर से दायर एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। पुराले मुंबई पोर्ट ट्रस्ट में चार्जमैन के तौर पर कार्यरत हैं। पीठ ने कहा कि कर्मचारी का वेतन इस आधार पर नहीं रोका जा सकता कि वह अपना बैंक खाता आधार नंबर से जोड़ने में विफल रहा। पुराले ने केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय की ओर से उन्हें 2015 में जारी उस पत्र को चुनौती दी थी जिसमें उनसे कहा गया था कि वह अपने उस बैंक खाते को आधार कार्ड से जोड़े, जिसमें उनका वेतन डाला जाता है। उन्होंने ऐसा करने से इनकार करते हुए निजता के अपने मौलिक अधिकार का उल्लेख किया। जुलाई 2016 से उन्हें वेतन मिलना बंद हो गया, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में अर्जी दायर की। इस महीने के शुरू में पुराले ने अपनी अर्जी में एक आवेदन दायर किया जिसमें उन्होंने आधार कार्ड मुद्दे पर 26 सितंबर के उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लेख किया। अदालत ने सोमवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह ऐसा रुख कैसे अपना सकती है कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं देगी, क्योंकि उनका आधार उनके वेतन खाते से नहीं जुड़ा है। पीठ ने सरकार को याचिकाकर्ता को बकाए का भुगतान करने का निर्देश दिया और मामले की अंतिम सुनवाई 8 जनवरी को करना तय किया।