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जहां से लेती थी नशे का सामान वहीं से नशामुक्ति की पहल

मुंबई : जीवन की कठिन परिस्थितियों को भुला देने या फिर शौक पूरा करने के लिए बहुत से लोग नशे का सहारा लेते हैं। नशे की इस आदत को पूरा करने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। ऐसी ही एक नशेड़ी महिला रीना चावला (बदला हुआ नाम) सिरिंज से ड्रग्स का डोज लेने के लिए एक ऐसे रास्ते जा पहुंची, जहां न सिर्फ उसने अपनी २०-२५ सालों की इस गंदी आदत को छोड़ा बल्कि लूटपाट और चोरी की आदत छोड़कर एक आदर्श जीवन अपना लिया।
बता दें कि ‘संकल्प’ नामक एनजीओ लोगों को नशामुक्ति की राह अपनाने में मदद करता है। सिरिंज से ड्रग्स का डोज लेनेवाले लोग अक्सर एक ही सिरिंज से ड्रग लेते हैं, जिससे लोग एचआईवी या हेपटाइटिस द्वारा संक्रमित हो जाते हैं। लोगों को एचआईवी से बचाने के लिए ‘संकल्प’ द्वारा पहले उन्हें अलग-अलग सिरिंज बांटे जाते हैं। फिर उनसे संपर्क बढ़ाकर नशे के ड्रग्स लेने की जगह चिकित्सा के दृष्टिकोण से मान्य (ओएसटी) दवाइयां दी जाती हैं, जिन्हें अपनाकर वे कुछ ही समय में नशा करना छोड़ देते हैं। ‘संकल्प’ के निदेशक एल्डरेड टेलिस ने बताया कि इस प्रयास के द्वारा मुंबई शहर में सिरिंज द्वारा नशे का डोज हिंदुस्थान के सभी बड़े शहरों की तुलना में कम लिया जाता है। २००३ में जहां मुंबई में ये डोज लेनेवाले १५,००० से भी अधिक लोग थे, वहीं अब यह संख्या मात्र ७००-८०० रह गई।
नशे की लत में घर छोड़ा
रीना चावला ने नशे की शुरुआत अपनी एक दोस्त को देखकर की थी। आगे जाकर पैसे जुटाने में असमर्थ रीना ने नशे का व्यापार करना शुरू कर दिया। जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो पुलिस को भी चकमा देकर वह कोलकाता से मुंबई आ गई। यहां कचरा उठाकर और चोरी-चकारी करके सालों तक अपनी इस आदत को अंजाम देती रही। नशे की लत में धुत रीना को ये तक नहीं पता चला कि कब उसने अपनी मां और अपने बेटे को खो दिया। ‘संकल्प’ के संपर्क में आने के बाद आखिरकार रीना ने अपनी २०-२५ साल पुरानी आदत छोड़ दी और आज रेलवे परिसर में झाड़ू-पोंछा लगाकर सामान्य जीवन जी रही है।

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