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हाई कोर्ट ने दिया हड़ताल खत्म करने का निर्देश, फिर भी नहीं मान रहे BEST कर्मचारी

मुंबई, बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ ऐंड ट्रांसपॉर्ट (BEST) के बस कर्मचारियों की हड़ताल मंगलवार रात तक वापस लेने का बॉम्बे हाई कोर्ट का जुबानी निर्देश मानने से बेस्टकर्मियों ने इनकार कर दिया है। यह हड़ताल बुधवार को नौवें दिन में पहुंच गई है। वडाला में मंगलवार रात हुई बेस्टकर्मियों की सभा में सभी मांगे पूरी होने तक हड़ताल जारी रखने का संकल्प किया गया। बेस्ट कामगार संयुक्त कृति समिति ने हाई कोर्ट में दिए गए बेस्ट प्रशासन के प्रस्ताव की तीखी आलोचना की। समिति के अध्यक्ष शशांक राव ने आरोप लगाया कि इसके पीछे कर्मचारियों को कटौती करने और बेस्ट के निजीकरण का छिपा अजेंडा है। इससे पहले, बेस्ट कामगार कृति समिति से अदालत ने कहा कि बेस्ट प्रशासन ने फरवरी महीने से कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने की गारंटी दी है, बाकी मांगों पर भी वह बातचीत करने के लिए तैयार है। इसी आधार पर अदालत ने यूनियन को हड़ताल वापस लेने का मौखिक निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा, ‘आपकी मांगों को लेकर हम बेस्ट को टाइम टेबल बनाकर देंगे। आज रात तक हड़ताल वापस लेने का निर्णय करें। कल सुबह हमें इस बारे में सूचित करें।’ कोर्ट ने यूनियन को ध्यान दिलाया कि वेतन बढ़ाए जाने की गारंटी मिल चुकी है और बाकी मांगों को लेकर चर्चा का रास्ता खुला हुआ है। बुधवार को हाई कोर्ट में हड़ताल के मुद्दे पर फिर सुनवाई होती है। अब देखना यह है कि हड़ताल वापस लेने के निर्देश का पालन न होने पर हाई कोर्ट क्या रुख अपनाता है।

बीएमसी में बेस्ट का बजट जोड़ने को तैयार है सरकार 

बेस्ट की सबसे महत्वपूर्ण मांग बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के बजट में बेस्ट को शामिल करने की है। इससे नुकसान में चल रही बेस्ट सेवा का घाटा बीएमसी के कोष से पूरा किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि मुंबई बीएमसी में सत्ताधारी शिवसेना इसके लिए तैयार नहीं है। उसका तर्क है कि ‌‌बेस्ट उपक्रम को इस शर्त पर अलग किया गया था कि यह उपक्रम कम से कम एक लाख रुपये की कमाई करेगा। बेस्ट का करीब 550 करोड़ रुपयों का नुकसान हर साल पानी, बिजली, अस्पताल, पार्क, कचरा उठाने और मलनिकासी जैसी नागरिक सुविधाओं में कटौती कर पूरा करना पड़ेगा। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार बेस्ट का बजट बीएमसी में जोड़ने के लिए तैयार है।

आर्थिक सुधारों का भी विरोध 

इसके अलावा बेस्ट कर्मचारी संगठन आर्थिक सुधारों का भी विरोध कर रहे हैं। बेस्ट की खस्ता हालत को सुधारने के लिए आर्थिक सुधारों की पैरवी की जा रही है। इसी क्रम में प्राइवेट ठेकेदार से बसें लेकर उसे रास्तों पर चलवाने का इरादा है। कर्मचारी यूनियन इसे निजीकरण बताकर इसका विरोध कर रहे हैं। जूनियर ग्रेड के कर्मचारियों की पदोन्नति दूसरा अहम मुद्दा है। इसके लिए भी प्रशासन राजी नहीं है। पिछले नौ दिनों से जारी बेस्ट की हड़ताल को शिवसेना की राजनीतिक असफलता से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बेस्ट समिति और बीएमसी, दोनों में सेना की ही सत्ता है, लेकिन फैसले लेने वाले नौकरशाहों का रिमोट कहीं और है।

‘मरना है, तो हम लड़कर मरेंगे’

बेस्टकर्मियों की हड़ताल का नेतृत्व कर रहे यूनियन नेता शशांक राव ने कहा, ‘समिति की सिफारिश मानते ही कर्मचारियों का भविष्य खत्म हो जाएगा। इसीलिए हम सभी ने तय किया है कि हम इसे स्वीकार करने की बजाय लड़कर मरना पसंद करेंगे।’ उन्होंने उद्धव ठाकरे पर बेस्ट बंद करने का षडयंत्र रचने का आरोप लगाया। राव ने कहा, ‘उद्धव ठाकरे बेस्ट चलाना नहीं चाहते हैं, इसलिए यह सब कर रहे हैं। समिति की सिफारिशों में लीज पर बसें लेने के साथ बेस्टकर्मियों के डीए में कटौती और एलटीए जैसी सुविधाएं बंद करने की सिफारिश है। यूनियन का साफ तौर पर मानना है कि बेस्टकर्मियों का वेतन बढ़ाने की बजाय इन सुधारों के बहाने वेतन कम कर दिया जाएगा।’

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