मुंबई : महाराष्ट्र के बीड जिले के परली शहर सैंकड़ों भ्रूणहत्याओं दोषी डॉक्टर सुदाम मुंडे और उनकी पत्नी सरस्वती मुंडे को १० वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। बीड जिला न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुनाते टिप्पणी की कि डॉक्टर दंपती ने दवाखाना नहीं, भ्रूणहत्या का कारखाना ही खोल रखा था। दोनों के साथ गर्भपात पीड़िता महिला के पति महादेव पट्टेकर को भी इतनी ही अवधि के कारावास की सजा और ५० हजार रुपये दंड की सजा दी गई है।
बीड की धारूर तहसील के पटेकर अपनी पत्नी विजयमाला को गर्भपात के लिए डॉ. मुंडे के दवाखाने में १७ मई २०१२ में लाया था। वहां से उसे जलगांव भेजा गया, जहां गर्भलिंग जांच में पता चला कि उसके पेट में पल रहा भ्रूण भी पिछले चार मामलों की तरह लड़की का है। अगले ही दिन मुंडे अस्पताल में गर्भपात किया गया, पर भारी रक्तस्राव की वजह से उसकी मौत हो गई। इस पर हंगामा मचने के बाद अवैध गर्भनिदान का मामला दर्ज किया गया। जांच के दौरान मुंडे के फार्म में प्लास्टिक की थैलियों में बांधकर दफन किए गए अनेक भ्रूण मिले और मामला सनसनीखेज हो गया।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान गवाह बनाए गए पट्टेकर के रिश्तेदार बयान से मुकर गए। मगर अदालत ने दाखिल कागजात और १० बिस्तरों की अनुमति के बावजूद ६० कमरों व ११० बिस्तरों वाला अस्पताल चलाने जैसे परिस्थितिजन्य सबूत का ग्राह्य माना। मुंडे पति-पत्नी ने बढ़ती उम्र और विभिन्न बीमारियों का हवाला देते हए सजा में रियायत दिए जाने की अपील की। कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए दोनों और पट्टेकर को एमटीपी की धारा ३१२, ३१४, ३१५, ३१८ के तहत दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई।