
सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं दाऊदी बोहरा महिलाएं, खफ्ज को ‘धार्मिक शुद्धता’ के लिए बताया जरूरी
मुंबई
एक और जहां दाऊदी बोहरा समुदाय की महिलाएं खफ्ज की परंपरा के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं, उन्हीं के बीच का एक तबका सुप्रीम कोर्ट के पास इस प्रथा की वकालत के लिए पहुंचा है। इन महिलाओं का कहना है कि उनकी प्रथा में खफ्ज (सर्कमसिजन) किया जाता है, न कि जेनिटल म्यूटिलेशन। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा बताया है। दाऊदी बोहरा विमिन्स असोसिएशन फॉर रिलिजस फ्रीडम नाम का समूह लगभग 69000 बोहरा महिलाओं का समर्थन प्राप्त होने की बात कहता है। इस समूह ने सुप्रीम कोर्ट में इस प्रथा के खिलाफ दाखिल एक याचिका में खुद को पार्टी बनाने की अपील की है। समूह का कहना है कि खफ्ज उनके समुदाय की धार्मिक प्रथा है जिसके 'सफाई और शुद्धता के लिए किया जाता है।' इस समूह का कहना है कि खतना ज्यादा प्रचलित प्रथा है लेकिन खफ्ज और खतना में अंतर होता है।
खफ्ज की प्रथा पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की रहनेव