बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को जम्मू में एक रैली को संबोधित करने पहुंचे. जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी का गठबंधन समाप्त होने के बाद अमित शाह की यह पहली रैली है. इस रैली से अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘गुलाम नबी आजाद के बयान का समर्थन लश्कर करता है. राहुल इसका जवाब दें.’ बता दें, पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के मौके पर अमित शाह जम्मू पहुंचे हैं.
अमित शाह ने कहा, ‘पहले जम्मू कश्मीर आने के लिए परमिट की जरूरत पड़ती थी. उस वक्त जम्मू कश्मीर में तिरंगा नहीं पहरा सकते थे. यहां अलग प्रधानमंत्री बैठता था. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने जब तिरंगा फहराने का प्रयास किया तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जम्मू की जेल में उनकी हत्या कर दी गई. उनके बलिदान को कोई नहीं भूल सकता है. शाह ने कहा, जम्मू कश्मीर से हमारा दिल और खून का रिश्ता है. क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इसे खून से सींचा है.’
सरकार मायने नहीं रखती: शाह
शाह ने कहा, ‘मैं 1 साल पहले यहां आया था. उस वक्त हमारी गठबंधन की सरकार थी. अब आया हूं तो हमारी सरकार नहीं है. हमारे लिए सरकार कोई मायने नहीं. हमारे लिए जम्मू का विकास और सलामती मायने रखती है.
इस सरकार के गिरने के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता भारत माता की जय के नारे लगाते हैं. वहीं, कांग्रेस के नेता भी अपना स्तर दिखा रहे हैं. गुलाम नबी आजाद के बयान का लश्कर भी समर्थन करता है. इस मामले पर राहुल को बोलना चाहिए या नहीं.’
अमित शाह बोले, ‘इसके दूसरे ही दिन सैफुद्दीन सोज का बयान आता है. बीजेपी जम्मू-कश्मीर को कभी भारत से टूटने नहीं देगी. कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसे अपने खून से सींचा है. इन बयानों पर कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए लेकिन वो माफी नहीं मांगेंगे.’ अमित शाह गुलाम नबी आजाद के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था- ‘घाटी में चल रहे सेना के ऑपरेशन में आतंकी कम नागरिक ज्यादा मारे जा रहे हैं.’ आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने भी आजाद के इस बयान के समर्थन में प्रेस रिलीज जारी की थी.
सत्ता में रहने से अच्छा हम विपक्ष में रहें: शाह
शाह ने कहा, ‘जम्मू और लद्दाख में बराबर विकास नहीं हुआ. नरेंद्र मोदी सरकार ने पैसा भेजा लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं किया गया. जम्मू-लद्दाख में समान विकास न होने की वजह से हमने सत्ता छोड़ी. भारत में लोकतंत्र है, किसी भी अखबार का एडिटर कुछ भी लिख सकता है. लेकिन लिखने की वजह से एक अखबार के एडिटर की हत्या हो जाती है. हमने सोचा सत्ता में रहने से अच्छा है हम विपक्ष में रहें.’
जम्मू कश्मीर में दो परिवारों ने बारी-बारी से सरकार बनाई
उन्होंने कहा, ‘हम चाहते थे कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख का विकास साथ हो. लेकिन ऐसा नहीं हुआ था. यहां दो परिवारों ने कांग्रेस के साथ मिलकर बारी बारी से सरकार बनाई है. अगर इनकी संपत्ति मिला दी जाए तो जम्मू के लोगों की संपत्ति के बराबर हो गया है.’
‘हमें विकास का नरेटिव सेट करना होगा’
शाहे बोले, ‘मैं इस मंच से अपील करने आया हूं. बीजेपी आतंकवाद के खिलाफ जरूर जिरो टॉलरेंस की नीति रखती है. इस राज्यपाल शासन से सबकी यही अपेक्षा होनी चाहिए कि यहां शांति और विकास का कार्य हो. इस लिए हमें नरेटिव सेट करना होगा. मैं चाहता हूं आप जम्मू कश्मीर के विकास की ओर ध्यान दीजिए.’
राष्ट्रहित से कोई समझौता नहीं: शाह
रैली से पहले अमित शाह ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. इस बैठक में 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में शाह ने साफ किया कि बीजेपी राष्ट्रहित से कोई समझौता नहीं करेगी. राष्ट्रहित से जुड़े मामले बीजेपी के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं. इसी को लेकर 2019 का चुनाव लड़ा जाएगा. कार्यकर्ताओं को 2019 का मंत्र देने के बाद अमित शाह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय गए.
कांग्रेस का हाथ पाकिस्तान के साथ: रविंद्र रैना
इस रैली में जम्मू कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा, कांग्रेस पहले भी षडयंत्र करती थी. अब भी षडयंत्र करती है. कांग्रेस वाले कहते हैं कि कांग्रेस का हाथ आम आदमी साथ लेकिन कांग्रेस का हाथ पाकिस्तान के साथ है. कांग्रेस का हाथ अलगाववादियों के साथा है. ये भारत माता के सबसे बड़े गद्दार हैं.
रविंद्र रैना ने डेढ़ साल पहले का एक किस्सा सुनाते हुए कहा, जम्मू कश्मीर की सरकार की ओर से डेढ़ साल पहले एक ऐसा आदेश पारित हुआ जिससे तिरंगे का अपमान होता. उस वक्त अमित शाह नागपुर में मौजूद थे. जैसे ही उन्हें इस फैसले के बारे में जानकारी मिली. उन्होंने फोन पर कहा, 4 घंटे का समय देता हूं अगर ये फैसला वापस नहीं लिया तो जम्मू कश्मीर में सिर्फ तिरंगा दिखाई देगा.
बता दें, पीडीपी से गठबंधन तोड़ने के बाद अमित शाह का यह जम्मू दौरा राजनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पार्टी की राज्य के जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में मजबूत पकड़ है, ऐसे में पीडीपी का साथ छोड़ने के बाद बीजेपी का जोर 2019 के मद्देनजर जम्मू क्षेत्र में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने पर रहेगा.