मुंबई में 5 साल में 26,000 लड़कियां गुम
मुंबई
पिछले साल ठाणे जिले में गुमशुदा एक लड़की का पता लगाने में पुलिस की नाकामी को गंभीरता से लेते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसे मामलों में मानसिकता बदलने की जरूरत है। न्यायमूर्ति एस.सी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की दो सदस्यों की पीठ ने 10 जुलाई को जारी अपने आदेश में पुलिस अधिकारियों से कहा कि उन्हें यह मानना बंद कर देना चाहिए कि किसी नाबालिग लड़की की गुमशुदगी का हर मामला उसके अपने प्रेमी के साथ भागने का है, जैसा कि फिल्मों में दिखाया जाता है। पीठ ने कहा, 'हम पुलिस की मौजूदा मानसिकता से नाखुश हैं। जांच टीमों और ऊंचे ओहदे पर नियुक्त अधिकारियों को हर मामले को ऐसा नहीं मानना चाहिए।' अदालत ने कहा कि अधिकारियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि ये जीवन की वास्तविक घटनाएं हैं। यह जीवन फिल्मों की तरह नहीं है जिसमें घर से गायब लड़की अपने प्रेमी संग चली गई हो। हमारे बीच ऐसे भी